शाखा अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा की अगुवाई में रेल कर्मचारियों ने ट्रेन के ठहराव के दौरान रेल मंत्रालय द्वारा 100 दिनों की कार्ययोजना के तहत भारतीय रेलवे मे रोलिंग स्टॉक कम्पनी बनाने का प्रस्ताव वापस लेने, गाडिय़ों को निजी क्षेत्र द्वारा चलाने के प्रस्ताव को वापस लेने, अंधाधुंध निगमीकरण पर रोक लगाने, 1 जनवरी 2004 व उसके बाद भर्ती हुए रेल कर्मचारियों व उसके परिवार जनों को पूर्ण सामाजिक सुरक्षा देने के लिए नई पेंशन योजना को बन्द कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
शर्मा ने बताया कि उच्च ग्रेड के विभिन्न पदों की सीधी भर्ती द्वारा 10 प्रतिशत पदों को एलडीसी के माध्यम से ओपन टू ऑल करने, रिस्की जॉब करने वाले रेल विभागों के कर्मचारियों को रिस्क एवं हार्डशिप अलाउंस का भुगतान करने, बोनस भुगतान की सीमा 7000 रू प्रतिमाह को हटाए जाने जैसी मांगों को लेकर संघ आंदोलनरत है। उन्होंने चेतावनी दी है कि आगामी दिनों मे केंद्र सरकार ने मांगों का समय रहते समाधान नहीं किया तो फेडरेशन संसद पर प्रदर्शन का कड़ा निर्णय भी कर सकती है। शाखा सचिव अनवर अली खां ने बताया कि सरकार की दमनकारी नीतियां कर्मचारी विरोधी है।
एटक के ओपी शर्मा ने बताया कि भारत सरकार रेलवे जैसे कमाऊ उद्योग को निजी हाथों में बेचकर कर्मचारियों के व आम जनता के साथ कुठाराघात कर रही है जिसे ट्रेड यूनियन कभी बर्दास्त नही करेगी। प्रदर्शन के दौरान गोरधनराम कच्छावा, बेनी प्रसाद वर्मा, संतोष कुमार मीणा, आरपी.मीणा, जी.पी कुमावत, कैलाश चन्द सुवालका, शिव लाल कनौजिया, तुलसीराम खटीक, विमला पाराशर, नीलम मीणा संगीता समेत बड़ी संख्या में रेलवे कर्मी मौजूद थे।