मस्ती की पाठशाला के संस्थापक गौतम खंडेलवाल का कहना है कि, ‘हम घर-घर जा रहे हैं और लोगों को जागरूक कर रहे है कि लोग पॉलिथिन का उपयोग नही करें‘। उन्होंने कहा,
कि ‘हमारे बच्चे हर दिन 2,500 पेपर बैग बना रहे हैं और उन्हें गांव की दुकानों में मुफ्त में बांट रहे हैं।‘
कि ‘हमारे बच्चे हर दिन 2,500 पेपर बैग बना रहे हैं और उन्हें गांव की दुकानों में मुफ्त में बांट रहे हैं।‘
यह भी पढ़ें
रियासतकाल में टहनी काटने की भी लेनी पड़ती थी इजाजत, एक पेड़ के बदले लगवाए जाते थे 10 पेड़ बच्चे ने गांव को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान भी चला चलाया है। 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर इस पत्र को गांव के सरपंच को पेश करेंगे। उनके अनुसार, अगर सरपंच भी इस अभियान पर कार्य नहीं करता है, तो हम उच्च अधिकारियों से संपर्क करेंगे। खांडेलवाल ने इस कार्य के लिए दृढ़ संकल्प किया।
यह भी पढ़ें
विश्व पर्यावरण दिवस पर लगाएं अपनी राशि के अनुसार पेड़ और पाएं समृद्धि अभियान के तहत बच्चे कपड़े के बने बैग लाकर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। वे पेड़ों की पत्तियों से हाथ से बनाई गई प्लेटों द्वारा प्लास्टिक प्लेटों को प्रतिस्थापित करने के लिए भी लोगों को जागरूक रहे हैं। इसके अलावा, गांव के चारों ओर पानी के गड्ढें भी बनाए जा रहे है ताकि गर्मियों के दौरान पक्षियों और जानवरों को पीने के लिए पर्याप्त पानी मिल सके।