राम रूठा, पर राज न रूठे
इस बार बम्पर उत्पादन की उम्मीद थी, बरसात ने पानी फेर दियाकिसान बोले- सरकार गिरदावरी करवाएं, नुकसान का मुआवजा मिलेबारिश से खेतों में फसलें आड़ी पड़ी, ६० फीसदी तक उत्पादन होगा प्रभावित
Ram is angry, but Raj is not angry
जयप्रकाश सिंह
भीलवाड़ा। कल तक खेतों में लहलहाती फसलों को देखकर जो चेहरे खुशी से खिले हुए थे, आज उसे खेतों में आड़ी देखकर मुरझा गए हैं। जिले में कई इलाकों में मंगलवार रात और बुधवार शाम को तेज आंधी, ओले और बारिश से रबी की फसलों को खासा नुकसान हुआ है। किसान जहां बारिश से गेहूं, चना, सरसों, अफीम की फसलों में ३० से लेकर ६० फीसदी तक नुकसान का दावा कर रहे हैें, वहीं कृषि विभाग ५ से ३० फीसदी नुकसान मान रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार खेतों की गिरदावरी करवाएं और किसानों को पर्याप्त मुआवजा मिले।
पत्रिका टीम ने बुधवार को जिले के सवाईपुर, बीगोद, मांडलगढ़, बनकाखेड़ा, आकोला, बड़लियास, गेंदलिया इलाकों में नुकसान का जायजा लिया तो खेतों में किसान परिवार के साथ फसलों की सार-संभाल करते दिखे। उनका कहना था कि मंगलवार दोपहर तक फसल पूरे यौवन थी। इस बार उन्हें गेहूं, सरसों के बम्पर उत्पादन की उम्मीद थी, लेकिन रात को चली आंधी और बरसात से सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। सुबह खेत पर पहुंचे किसानों ने फसलों की हालत देखी तो उनके चेहरे पर मायूसी छा गई। बुधवार शाम को फिर बारिश और ओलावृष्टि हुई तो किसानों का कलेजा मुहं को आ गया।
गेहूं की बालियां आपस में उलझ गई
सवाईपुर में किसान रामकुमार जाट का कहना था कि उनके खेतों में गेहंू की फसल आड़े पड़ गई। तेज हवा के कारण कई जगह गेंहू की बालियां आपस में उलझ गई। फसल आड़ी होने से गेंहू में करीब ६० फीसदी का नुकसान है। पानी में भीगने से जहां गेहंू के आकार छोटे हो जाएंगे, वहीं वह काला भी पड़ जाएगा। उनकी फसल में हजारों का नुकसान हो गया है। उनका कहना था कि अब तक पटवारी या गिरदावर खेतों में नुकसान का जायजा लेने नहीं आए।
पपीते के फूल झड़ गए
किसान रतन कुमावत ने एक बीघा में पपीते के करीब ४०० पौधे लगा रखे हैं। इन पौधों में पहली बार बड़ी मात्रा में फल आए है। रात को आई आंधी से पपीते टूटकर नीचे गए। पेड़ों पर लगे फूल झड़ गए। बारिश से पत्तों में भी छेद हो गया। बारिश से उसे काफी नुकसान हुआ। दिन में चीरा लगाया, रात को दूध बह गया
बनका खेड़ा के किसान रामस्वरूप सुथार का कहना था कि इन दिनों अफीम के डोडे में चीरा लगाने का कार्य चल रहा है। मंगलवार को दिन में कई किसानों ने अफीम का दूध इकट्ठा करने के कारण डोडे में चीरा लगाया था। रात को हुई बारिश में यह दूध सारा बह गया। बुधवार शाम को ओले ने और बरबादी कर दी। बारिश का पानी बर्फीला होने से डोडों को नुकसान हुआ है। कई जगह पौधे आड़े पड़ गए। ऐसे में अफीम का उत्पादन प्रभावित होगा। अफीम की फसल का बीमा नहीं होने से इसकी भरपाई भी नहीं हो पाएगी।
बीमा है, पर नहीं मिलता मुआवजा
किसानों का कहना है कि कहने को तो किसानों की फसलों का बीमा हो रहा है, लेकिन इसमें इतनी पेचिदगियां है कि उनका भुगतान ही नहीं हो पाता। गेगा का खेड़ा के किसान भैरूलाल पुरोहित का कहना था कि केसीसी करवाते समय ही फसलों का बीमा कर दिया जाता है, उस समय बीमा कंपनियां टोल फ्री नम्बर देती है, लेकिन जब फसलों पर प्राकृतिक आपदा आती है तो बीमा कंपनियां अपने टोल फ्री नम्बर बंद कर देती है। किसान को मुआवजा ही नहीं मिलता। अभी गेहूं, चना और सरसों की फसल बीमा के दायरे में हैं।
६४८७ हैक्टेयर में फसलें खराब
कृषि विभाग के अनुसार जिले में ६४८७ हैक्टेयर में फसलों को नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के अनुसार खराबे का प्रतिशत ५ से ३० है। जिले में खेतों में ९९ हजार ७६२ हेक्टेयर में गेहूं व ३६ हजार ६६५ हेक्टेयर में जौ की फसल खड़ी है। चना ५६ हजार ३८२ हेक्टेयर में चने की बुआई की गई है। इसके साथ ही ५९ हजार १८५ हेक्टेयर में सरसों की बुआई की गई है।
१.१८ लाख हैक्टेयर का फसल बीमा
जिले में कुल २ लाख ६६ हजार ४०२ हैक्टेयर में गेंहू , जौ, सरसो, चना व अन्य की बुआई हुई है। इसमें से १ लाख १८ हजार हेक्टेयर में फसल का ६.२१ लाख खातेदारों ने ७३७.११ करोड़ का बीमा करवाया है। किसानों ने ११.०६ करोड़ रुपए की प्रीमीयम जमा करायाग़्ा जबकि ९०.५९ करोड़ की बीमा राशि सरकार ने जमा करवाई है।
७२ घंटे में करनी होती है शिकायत
फसल खराब होने पर किसान को ७२ घंटे के अन्दर इंश्योरेंस कम्पनी को टोल फ्री नम्बर १८००-१०२-११११ पर सूचना देनी होगी। व्यक्तिगत नुकसान के लिए किसान को ही सूचना देनी होगी।
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