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लालटेन से रोशन हुआ स्मृति वन, जमकर ली सेल्फियां, जीवंत हुआ इतिहास

locationभीलवाड़ाPublished: Jul 23, 2018 03:40:17 pm

Submitted by:

tej narayan

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Rang-Malhar's concluding six-day art exhibition in bhilwara

Rang-Malhar’s concluding six-day art exhibition in bhilwara

भीलवाड़ा।
आकृति कला संस्था, राउण्ड टेबल लेडिज सर्कल एवं एलएनजे समूह के सहयोग से आयोजित रंग-मल्हार की छह दिवसीय कला प्रदर्शनी रविवार को स्थानीय स्मृति वन में लालटेन की रोशनी के बीच संपन्न हुई। संस्थान सचिव कैलाश पालिया ने बताया कि रंग मल्हार में निर्मित सभी लालटेन को रविवार सांय 5 से 7 बजे तक स्मृति वन में कला प्रेमियों के अवलोकनार्थ रखा गया। यहां कलाकृतियों से सिमटी लालटेन को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित था और लालटेन के साथ अपनी सेल्फ ी लेने को मौका नहीं चकू रहे थे।
रंग-मल्हार में श्रेष्ठ 15 कलाकारों को मूर्तिकार गोवर्धन सिंह पंवार, चित्रकार मंजू मिश्रा ने डीबी मूले, अरूधती, सुरभि जैन, इशान जैन, प्रज्ञा सोनी, काशवी जैन, सोम्या काकानी, दीपिका पाराशर, कृतिका सोमानी, कृतिका गांधी, अनुशा जैन, एंजल जैन, सोम्या जैन, सानवी शर्मा, बलवंत जागेटिया को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
रेलवे की सिग्रल प्रणाली का माध्यम थी
लालटेन मूलरूप से लेटिन भाषा के लालटेर्न शब्द का हिन्दी रूप है। लालटेर्न का अर्थ रोशनी होता है। इसकी शुरूआत ग्रीक और चाइना से मानी जाती है। यहां सिविल वार में सैनिकों ने इसका सिंगल प्रणाली के रूप में प्रयोग करना शुरू किया था। हिन्दी भाषा में इसे लालटेन भी कहा जाता है। किसी जमाने में रोशनी का यह वैकल्पिक माध्यम हर घर में मौजूद रहता था। रेलवे में किसी जमाने में यह सिग्नल प्रणाली का सबसे सशक्त माध्यम था। चलती रेल में सबसे आखिरी डिब्बे में बैठा गार्ड इसी के माध्यम से ट्रेन को चलाने और रूकने का निर्देश दिया करता था।

लालटेन संग सेल्फी
कार्यक्रम में हर काई लालटेन के साथ अपनी सेल्फ ी लेना चाह रहा था। काई भी लालटेन संग सेल्फी लेने को मौका नहीं चकू रहे था। बच्चों की कलाकारी को देख बड़े भी आश्चर्यचकित रह गए। बच्चों ने लालटेन पर एक से बढकर एक कलाकारी की। अपने मन के भाव उकेरे। छह दिन तक यह कला का संगम शहर में चलता रहा। आखिर में इन नन्हें कालाकारों ने दाद बटोरी।
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