केंद्र से मिले थे तीन करोड़, परिषद नहीं कर पाई इस्तेमाल, राज्य सरकार ने वापस मांगी राशि
अमृत योजना में होना था खर्च: विकास पर भारी अधिकारियों की लापरवाही
केंद्र से मिले थे तीन करोड़, परिषद नहीं कर पाई इस्तेमाल, राज्य सरकार ने वापस मांगी राशि
भीलवाड़ा।
बजट नहीं होने का रोना रोने वाले अफसर अपने काम के प्रति कितने लापरवाह हैं, इसकी बानगी देखनी है तो नगर परिषद से जुड़े इस प्रकरण को समझिए। केंद्र सरकार ने अमृत योजना से शहर के विकास के लिए तीन करोड़ रुपए भेजे, जो नगर परिषद के अफसरों की ढिलाई से खर्च नहीं हो पाए। लिहाजा राज्य सरकार ने यह राशि परिषद से वापस मांग ली। नतीजन अफसरों की लापरवाही का खमियाजा भीलवाड़ा शहर की जनता भुगतेगी। सभापति राकेश पाठक ने सरकार के पुन: राशि मांगने तथा मिली राशि का इस्तेमाल नहीं होने को गंभीर विषय माना है।
दरअसल नगर परिषद को राज्य सरकार के जरिये अमृत योजना में केंद्र सरकार से तीन करोड़ रुपए मिले। शहर के विकास के लिए मिले इस पैसे का उपयोग नहीं हो पाया तो राज्य सरकार ने परिषद से यह राशि वापस मांग ली। सभापति पाठक ने बताया कि सरकार से पुन: राशि लेने का प्रयास करेंगे व विकास की योजना को अंजाम देंगे। इस योजना में शहर में कई विकास कार्य होने थे। इसके लिए डेढ़ करोड़ पहले से खाते में थे तथा डेढ़ करोड़ रुपए बाद में मिले लेकिन विकास कार्य के लिए बनाई डीपीआर तक का काम नहीं हो सका। माना जा रहा है कि भाजपा के पिछले बोर्ड के आपसी झगड़े के चलते अधिकारी विकास कार्यों में बिल्कुल रुचि नहीं लेते थे।
पहली बोर्ड बैठक की तैयारियां
परिषद के नवनिर्वाचित बोर्ड की पहली बैठक बुलाने की तैयारी की जा रहीहै। इसमें वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पास किया जाएगा। परिषद का लेखा विभाग बजट प्रस्तावों को अंतिम रूप दे रहा है। आयुक्त दुर्गाकुमारी व लेखा अधिकारियों की सभापति पाठक से चर्चा हो चुकी है। पार्षदों से राय ले ली गई।
उल्लेखनीय है कि परिषद में पिछले बजट का आधा बजट भी खर्च नहीं हो सका था। पाठक ने बताया कि इस बार बजट घटाया जा सकता है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 का बजट 295 करोड़ रुपए था, जिसका आधा भी खर्च नहीं होना बजट की व्यवहारिकता पर सवाल उठाता है। बजट को व्यवहारिक बनाएंगे। मालूम हो, पिछले साल कोरोना कफ्र्यू व लॉकडाउन के चलते भी विकास कार्य व परिषद की आय प्रभावित हुई थी।
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