कोरोना से उबरे, तो अब डेंगू का डंक
भीलवाड़ाPublished: Sep 16, 2021 09:26:55 pm
अब तक 500 से अधिक लोग पॉजिटिव
कोरोना से उबरे, तो अब डेंगू का डंक
भीलवाड़ा।
एक तरफ राज्य सरकार कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए अस्पतालों में संसाधन बढ़ाने में जुटी हुई है। दूसरी ओर भीलवाड़ा के शिशु चिकित्सालय में डेंगू बीमारी के चलते पीडि़त बच्चों को भर्ती करने की जगह नहीं मिल पा रही है। ऐसे में परिजन बच्चों को निजी अस्पतालों में ले जाने को मजबूर हैं। एलायजा जांच में अब तक ५०० से अधिक डेंगू के मरीज एक माह में सामने आए हैं, जबकि कार्ड टेस्ट में यह संख्या कहीं अधिक है। माना जा रहा है कि शहर के हर घर में एक डेंगू का मरीज है। इसके चलते चिकित्सा विभाग कथित रूप से सर्वे के लिए १०० सदस्यों की टीम बनाकर घर-घर सर्वे करवा रही है। लेकिन हैरत की बात है कि फिर भी विभाग कोई आंकड़ा नहीं बता पा रहा है कि जिले व शहर में डेंगू के कितने मरीज हैं। गौरतलब है कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अजमेर से चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक ने भीलवाड़ा आकर डेंगू के मरीजों की जानकारी ली है।
अस्पताल में क्षमता से ज्यादा बच्चे
जिले में पिछले दिनों हुई बरसात के बाद शिशु चिकित्सालय के हालात बहुत खराब हो गए हैं। यहां अस्पताल में 2६ बेड स्वीकृत हैं। यहां २६ बेड पर ५० से ज्यादा बच्चे भर्ती किए गए हैं। एक बेड पर दो या तीन बच्चे भर्ती किए गए हैं। ऐसे हालात में बच्चों का इलाज करना मुश्किल हो रहा है। इस स्थिति में बच्चों में संक्रमण का खतरा भी आमतौर पर ज्यादा रहता है। एमजीएच की एमसीएच इकाई के शिशु चिकित्सालय के सभी वार्डों में लगभग यही स्थिति बनी हुई है। इन सबके बीच परिजनों की भीड़ भी हालात को गंभीर बना रही है।
डेंगू और वायरल का प्रकोप बढ़ा
भीलवाड़ा में पिछले दिनों बरसात के बाद डेंगू और वायरल के मरीज तेजी से बढ़े हैं। इसके चलते अस्पताल के शिशु चिकित्सालय की ओपीडी १०० से बढ़ कर ५०० तक पहुंच गई है। इमरजेंसी को भी मिला लें, तो देर रात तक औसतन ३५० बच्चे प्रतिदिन अस्पताल में इलाज के लिए आ रहे हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर, ध्यान दें…
शिशु चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ कुलदीप ने बताया कि इन दिनों बच्चों पर डेंगू का खतरा ज्यादा हो रहा है। लगभग 7 से 11 साल तक के बच्चे डेंगू का ज्यादा शिकार हो रहे हैं। इसमें बच्चों को पहले फीवर आता है। प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। शरीर पर लाल चकत्ते निकल आते हैं। साथ ही डेंगू होने पर शरीर में कमजोरी आ जाती है। कई बार ध्यान नहीं देने पर जानलेवा भी साबित हो जाता है।
शहर में सर्वे के लिए लगाई टीमें
सीएमएचओ डॉ. मुश्ताक खान ने बताया कि शहर में विभागीय टीमों को सर्वे कार्य में जुटाया गया है। शहर स्थित सभी नौ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तीन-तीन गणेश पंप मुहैया करा कर प्रभावित क्षेत्रों में पायरोथिम कीटनाशक छिड़काव करवाया जा रहा है। ताकि मच्छरों को नष्ट किया जा सके।
३५०० घरों में मिला लार्वा
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. घनश्याम चावला ने बताया कि शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्सा अधिकारियों को उनके क्षेत्र में सामने आए डेंगू मरीजों के घरों तक पहुंच कर लार्वायुक्त पात्रों का निरीक्षण कराने व परिजनों को लार्वा की पहचान कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा लार्वायुक्त जमा पानी में टेमीफोम डाला जा रहा है। शहर में अब तक 18 हजार घरों का सर्वे कराया गया जिनमें लगभग 35 सौ घरों में लार्वा पाया गया। जिन्हें टीमों ने मौके पर नष्ट किया। लगभग १५०० स्थानों पर टेमीफोल का घोल डाला गया।
फैक्ट फाइल
३५०० घरों में मिला लार्वा
१८००० घरों का सर्वे
१५०० स्थानों पर डाला लार्वानाशक घोल
१०० टीमें लगी सर्वे में
५०० से अधिक लोग हो चुके हैं डेंगू पॉजिटिव
२६ बेड हैं बच्चों के
५० से ज्यादा बच्चे हैं २६ बेड पर
३५० बच्चे औसतन हर दिन आ रहे अस्पताल
११ साल से कम उम्र के बच्चे ज्यादा प्रभावित
घर-घर सर्वे के लिए १०० टीमें लगीं, ३५ सौ घरों में मिला लार्वा
शिशु चिकित्सालय में नहीं मिल रहे बेड खाली