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सिंगोली चारभुजा मन्दिर में दान पात्र की राशि लेने आए देवस्थान विभाग के अधिकारियों को श्रद्धालुओं के विरोध के आगे खाली हाथ लौटना पड़ा

locationभीलवाड़ाPublished: Jun 14, 2019 06:00:48 pm

Submitted by:

tej narayan

देवस्थान विभाग के अधिकारियों को ग्रामीणों व श्रद्धालुओं के भारी विरोध के कारण बैरंग लौटना पड़ा

Return empty handed Devsthan Department Officer in bhilwara

Return empty handed Devsthan Department Officer in bhilwara


बरून्दनी।
देवस्थान विभाग की ओर से अधिग्रहित आत्मनिर्भर श्रेणी के अन्तर्गत आने वाले मेवाड़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल सिंगोली चारभुजा के मन्दिर के दान पात्र को शुक्रवार को खोल कर राशि लेने आए देवस्थान विभाग के अधिकारियों को ग्रामीणों व श्रद्धालुओं के भारी विरोध के कारण बैरंग लौटना पड़ा। दान पात्र को खोल कर बाहर निकाली गई राशि को भी विरोध को देखते हुए अधिकारियों को वापस दान पात्र में भर कर ताला लगाना पड़ा। सूचना मिलने पर माण्डलगढ़ के विधायक गोपाल लाल खण्डेलवाल भी मौके पर आए मन्दिर पर आधा घण्टे रुक कर ग्रामीणों, श्रद्धालुओं, अधिकारियों से बातचीत कर समझाइश की।

देवस्थान विभाग अजमेर के सहायक आयुक्त कार्यालय से निरीक्षक ओमप्रकाश सीरवी शुक्रवार की सुबह सिंगोली चारभुजा मन्दिर आए। मन्दिर भण्डारी सुरेन्द्र पाराशर, कार्यवाहक प्रबन्धक अर्जुन सोलंकी, के साथ मन्दिर में रखे दान पात्र को खुलवा कर राशि गिनने लगे। मन्दिर में मौजूद श्रद्धालुओं और स्थानीय प्रतिनिधियों ने राशि ले जाने का कड़ा विरोध किया। विरोध करने वालों का आरोप है कि देवस्थान विभाग अधिग्रहण के बाद 24 वर्षों की अवधि में सिंगोली चारभुजा मन्दिर के दान पात्र से निकली करोड़ों रूपये की राशि ले गया और स्थानीय विकास पर ध्यान नही दिया। विकास ठप पड़ा है।
कड़े विरोध को देखते हुए निरीक्षक ओम प्रकाश सीरवी ने अजमेर के सहायक आयुक्त गिरीश बच्चानी को हालात से अवगत कराया। देवस्थान आयुक्त कृष्ण कुणाल को भी दी गई। विरोध के बाद खोले गए दान पात्र की राशि को अधिकारियों ने वापस दानपात्र में भर कर ताला लगाया। जानकारी मिलने पर विधायक गोपाल खण्डेलवाल , भाजपा ग्रामीण मण्डल अध्यक्ष अनिल पारीक सिंगोली मन्दिर पहुँचे । विधायक खण्डेलवाल भी ग्रामीणों के साथ खड़े नजर आए और देवस्थान विभाग की रीति नीति पर नाराजगी प्रकट की। जनता ने देवस्थान विभाग के निरीक्षक सीरवी को 13 सूत्रीय मांग पत्र देकर व्यवस्थाओं में सुधार और विकास की मांग की।

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