कोरोना में बेवजह सीटी स्केन से कैंसर का खतरा
पिछले 35 दिन में लगभग 15 हजार लोगों ने कराई सीटी स्केन
कोरोना में बेवजह सीटी स्केन से कैंसर का खतरा
भीलवाड़ा।
कोरोना महामारी के चलते शहर में इन दिनों बड़ी संख्या में लोग चेस्ट की सीटी स्केन कराने का चलन तेजी से बढ़ गया है। हर कोई अपने स्तर पर कोरोना की आशंका के कारण निजी अस्पताल पहुंचकर सीटी स्केन करवा रहे है। लेकिन डाक्टरों का कहना है कि कोविड की शुरुआत में सीटी स्केन करने का कोई फायदा नहीं।
जिले में पिछले ३५ दिनों में लगभग १५ हजार से अधिक लोगों सीटी स्केन करवाया है। इसमें एमजीएच का आंकड़ा शामिल नहीं है। एमजीएच के अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ ने बताया कि एक सीटी स्केन से 300 एक्सरे के बराबर रेडिएशन होता है। इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। चेस्ट के एक्सरे के बाद ही जरूरत पडऩे पर डॉक्टर उचित परामर्श दे सकते हैं कि सीटी स्केन कराने की जरूरत है या नहीं। जो भी मरीज बार-बार सीटी स्केन करा रहे हैं, वे भविष्य में कैंसर का बड़ा खतरा मोल रहे हैं।
गौड़ ने बताया कि लोग बुखार या खांसी होने के तीन-चार दिन में सीटी स्केकरा रहे हैं। कोरोना पॉजिटिव हैं और हल्के लक्षण हैं तो सीटी स्केन कराने की कोई जरूरत नहीं है। यदि मरीज संक्रमित है और सांस लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही है, ऑक्सीजन लेबल ठीक है और तेज बुखार नहीं आ रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे मरीजों को ज्यादा दवाएं नहीं लेनी चाहिए। ये दवाएं उल्टा असर करती हैं और मरीज की सेहत खराब होने लगती है। लोग बार-बार खून की जांच करवाते हैं जबकि डॉक्टर जब तक न कहें तो स्वयं ही ये सब न करें। सेचुरेशन 93 या उससे कम हो रही है, बेहोशी जैसे हालात हैं, छाती में दर्द हो रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें।