चौकाने वाली बात है कि इस काम को लेकर चार महीने से तहसीलदार नजरें गढ़ाए था। उसी ने ही सीधे रूप से आरोपी दीपक चौधरी (सेठजी) से ही सम्पर्क कर रिश्वत की राशि तय की थी। जिस महिला अफसर के नाम पर तहसीलदार रिश्वत ले रहा था, उस महिला अफसर का नाम अभी सामने नहीं आया है। एसीबी इसी बिन्दु को लेकर गहन पड़ताल में जुटी है। जानकारी के अनुसार बिजौलियां में तहसीलदार रहते लालाराम की दीपक चौधरी से मुलाकात हुई थी। दीपक बिजौलियां में खनन करता था। तहसीलदार को पता था कि दीपक के पैतृक जमीन को लेकर भीलवाड़ा में विवाद चल रहा है। ४ अक्टूबर २०२१ से इस विवाद को लेकर रिश्वतकाण्ड की शुरुआत हुई।
सेठजी के नाम से प्रचलित, वार्तालाप में इसी नाम से सम्बोधन
कै लाश धाकड़ आरोपी दीपक के यहां मुनीम रह चुका है। दीपक को कैलाश सेठजी के नाम से ही पुकारता था। इस बात का तहसीलदार को पता था। ४ अक्टूबर को लालाराम ने दलाल कैलाश को फोन करके सेठजी के भूमि विवाद की जानकारी ली। उसके बाद लगातार कैलाश से बातचीत में तहसीलदार सेठजी के विवाद को लकर जानकारी करता रहा।
वाट्सअप कॉलिंग में मांगे पांच लाख
एसीबी को आशंका है कि लालाराम ने वाट्सअप कॉलिंग कर दीपक को ऑफिस बुलाया। उसके बाद दोनों में महिला अफसर के लंबित काम के बदले पांच लाख रुपए की डिमाण्ड की। इतनी बड़ी राशि दीपक देने को तैयार नहीं था। उसका कहना था कि काम हो तो ठीक है। नियमानुसार उसके काम वैसे ही हो जाएगा। दीपक एक-दो लाख देने को ही तैयार था। इसके बाद तीन लाख में सौदा हुआ और बाद में यह राशि तहसीलदार के भाई के खाते में ७ जनवरी को मनोज धाकड़ ने डाल दी थी।
पैसे नहीं दिए, फोन पर तकाजा
लालाराम ने २९ नवम्बर को कैलाश को फोन कर दीपक के उसके पास नहीं आने की बात कही। रिश्वत के पैसों को लेकर तकाजा किया। उसके बाद कैलाश और दीपक में बातचीत होती और ७ दिसम्बर को लालाराम के भाई पूरण के खाते में पैसे डलवा देता है।
एसीबी का दस दिन फिर इंतजार
सर्विलांस से रिश्वत की डिमाण्ड पूरी होने और पूरण के खाते में पैसे जाने के बाद दस दिन एसीबी को इंतजार करना पड़ा। माना जा रहा है कि एसीबी तहसीलदार और महिला अफसर के बीच रिश्वत को लेकर पैसों की वार्ता इंतजार कर रही थी लेकिन एेसा नहीं हुआ। एसीबी को आशंका थी कि उनकी चार महीने की मेहनत पर पानी न फिर जाए। इसका कारण पूरण के खाते में पैसे जाने के बाद कहीं भनक लगने पर वह रिवर्स पैसा मनोज के खाते में न डाल दे। एेसे में सत्यापन तक ही टे्रप कार्रवाई सीमित रहेगी। इसी के चलते दस दिन इंतजार के बाद आखिरकार पांचों को दबोचने भीलवाड़ा आ गई।
सवाल जो मांग रहे जवाब
– तहसीलदार महिला अफसर के नाम से रिश्वत ले रहा था। लेकिन ऑनलाइन सत्यापन में तहसीलदार ने रिश्वत को लेकर महिला अफसर से बात क्यों नहीं की?
– ७ जनवरी को पूरण के खाते में तीन लाख आ गए। उसके बाद भी दस दिन तक एसीबी ने पांचों की धरपकड़ का इंतजार क्यों किया?
– सत्यापन में महिला अफसर का नाम सामने नहीं आया। फिर एसीबी कड़ी से कड़ी जोड़कर पैसा किस को पहुंचाना था यह नाम दस्तावेज पर कैसे साबित करेगी?
गिरदावर के लिए भी की दलाली
एसीबी की एफआईआर में सामने आया कि कैलाश ने एक मामले में गिरदावर के लिए भी एक दुकान से रिश्वत ली थी। इसके लिए पटवारी ने निजी दुकान संचालक से बात करा कै लाश को राशि दी। यह राशि किस काम के लिए दी गई, यह अभी सामने नहीं आया है। एसीबी इसकी भी जांच कर रही है।