शहर समेत जिले में १० दिन से एक बूंद भी बारिश नहीं हुई है। ८ जुलाई को आखिरी बार मानसून की मेहरबानी गांव और शहर में हुई थी। उस समय अधिकतम तापमान २८ डिग्री पहुंच गया था। बारिश नहीं होने से उमस ने बेहाल कर दिया और तापमापी का पारा पायदान चढ़कर ३५ डिग्री तक पहुंच गया।
जिले के गोवटा बांध में २७ फीट के मुकाबले में १६ फीट पानी आ गया। सबसे बड़ा मेजा बांध में पानी ने गेज भी नही छूई। खारी बांध, कोठारी, माण्डल तालाब, नाहर सागर, सरेरी बांध, उम्मेद सागर, झडोल, मातृकुण्डिया, चन्द्रभागा, डोहरिया, कान्याखेड़ी, लड़की, नागदी, रायथिलियास, शिव सागर बांध खाली पड़े हैं। अरवड़, जेतपुरा, आंगूचा, गुवारड़ी, मंडोल, नवलपुरा, पचानपुरा टोकरवाड़ में मामूली पानी आया है। इससे सालभर निकलना सम्भव नहीं।
भैसरोडग़ढ़ से लाया चम्बल का पानी जिले के लिए वरदान बना है। कभी वस्त्रनगरी की जीवन रेखा कहलाने वाले मेजा बांध में डेड स्टोरेज से भी कम पानी रह गया। एेसे में गर्मी के बाद प्यास बुझाना जलदाय विभाग के लिए मुश्किल हो जाता। लेकिन चम्बल आने के बाद जलसंकट के हालात से लोगों को मुक्ति मिली है।