ऐसे लिखी गई जिले के ग्रामीण हिस्से के सर्वे की पटकथा
भीलवाड़ाPublished: Apr 06, 2020 10:24:50 pm
सात दिन में 22 लाख से ज्यादा के सर्वे की चुनौती से पाया पार
Screenplay of survey of rural part of such written district in bhilwara
भीलवाड़ा ।
कोरोना संक्रमण की दृष्टि से भीलवाड़ा को कभी वुहान तो कभी इटली की संज्ञा दी जाने लगी थी लेकिन स्थानीय प्रशासन ने सरकार मशीनरी के बेहतरीन उपयोग की बदौलत प्रदेश के पहले कोरोना हाट स्पाट को पूरे देश के लिए रोल मॉडल में तब्दील कर दिया। कोरोना का केंद्र शहर का एक अस्पताल था लेकिन जिले के ग्रामीण क्षेत्रा और पड़ौसी जिलों पर इसका असर होना निश्चित था। अस्पताल में इलाज के लिए आए रोगियों के सम्पर्क में आने वालों की पहचान करना लगभग असंभव कार्य था। जिला कलक्टर ने ग्राम स्तर पर सर्वे के लिए अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन राकेश कुमार को कमान सौंपी। सिर्फ सात दिन में जिले में 22 लाख से अधिक लोगों का सर्वे कर लिया गया। सर्वे से प्रशासन के सामने जिले की एक स्पष्ट तस्वीर उभर कर आई।
प्रदेश में कोरोना संक्रमण की आहट ही हुई थी कि एक निजी अस्पताल के डॉक्टर्स व नर्सिंग स्टाफ के संक्रमित होने की पुष्टि होने से भीलवाड़ा अचानक एक हाट स्पाट के रुप में सामने आ गया। स्थानीय प्रशासन के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती थी। सबसे बड़ी समस्या संक्रमितों के निकट सम्पर्कियों की पहचान और उनकी सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करना थी। संक्रमण को कम्यूनिटी संक्रमण में बदलने से रोकने में जिला कलक्टर राजेंद्र भट्ट के त्वरित निर्णय मील का पत्थर साबित हुए। चिकित्सा विभाग के माध्यम से शहरी सीमा में सर्व कर लोगों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी हासिल की जा रही थी तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रा में जमीनी स्तर की मशीनरी को इसके लिए उपयोग में लाया गया।
एक सुस्पष्ट दूरदृष्टि के साथ राजस्वए ग्रामीण विकास व पंचायती राजए शिक्षाए कृषिए चिकित्सा आदि विभाग के सबसे निचले स्तर के तीन.तीन कार्मिकों की 1948 टीम बनाई गई। लगभग छह हजार लोगों को एक साथ फील्ड में झौंक कर सात दिन के भीतर जिले के पूरे ग्रामीण क्षेत्रा का सर्वे कर लिया गया। यह इतना आसान नहीं था। जमीनी स्तर पर हुए सर्वे की रिपोर्ट उपखंड स्तर से होकर उसी दिन जिला स्तर तक पहुंचाना होता था। अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन की कोर टीम रात को 3 बजे तक आंकड़े संग्रहण का कार्य करती थी। त्वरित डाटा संग्रहण के परिणामस्वरूप प्रशासन को अगले निर्णय लेने में काफी आसानी रही।
पहले चरण के सर्वे में 16 हजार से अधिक ऐसे व्यक्तियों की पहचान की गई जो सामान्य सर्दी.जुकाम से पीड़ित थे। इन्हे घर में ही रहते हुए सोशल डिस्टेंस की पालना करने और स्वच्छता की आदतें अपनाने की सलाह दी गई। दूसरे चरण में इन्ही लोगों पर फोकस किया गया। जिन्हें अभी भी सर्दी.जुकाम की शिकायत थीए उनका मेडीकल स्क्रीनिंग करवाया जा रहा है। इनमें से संदिग्धों को भीलवाड़ा मुख्यालय पर कोरोना की जांच के लिए लाया जा रहा है। जिले में अभी तक लिए गए करीब ढाई हजार से ज्यादा नमूने में अधिकांश यह लोग शामिल है। प्रशासन के त्वरित और दूरगामी सोच वाले फैसलों ने भीलवाड़ा को देश में एक मिसाल के रुप में स्थापित कर दिया है।