script#Campaign 300 रुपए किलो तक मिलते हैं विदेशी सैकण्ड हैण्ड कपड़े | Second Hand Market In Bhilwara | Patrika News

#Campaign 300 रुपए किलो तक मिलते हैं विदेशी सैकण्ड हैण्ड कपड़े

locationनोएडाPublished: Jun 16, 2017 09:08:00 pm

Submitted by:

tej narayan

वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में विदेशी कपड़ा भी सैकण्ड हैण्ड मिलने लगे है। यह कपड़ा सौ रुपए से लेकर तीन सौ रुपए प्रति किलोग्राम की दर से आसानी से मिल जाते है। लेकिन कपड़ों के ढेर से अच्छे कपड़े की छंटनी करनी पड़ती है।

वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में विदेशी कपड़ा भी सैकण्ड हैण्ड मिलने लगे है। यह कपड़ा सौ रुपए से लेकर तीन सौ रुपए प्रति किलोग्राम की दर से आसानी से मिल जाते है। लेकिन कपड़ों के ढेर से अच्छे कपड़े की छंटनी करनी पड़ती है। शहर में ऐसे दो तीन व्यापारी है, लेकिन सर्दी आने के साथ ही इनकी संख्या बढ़ जाती है। यह विदेशी कपड़े कंटेनर के माध्यम से बड़े-बड़े महानगरों में आते है। 
#Campaign महानगरों की तर्ज पर लगते हैं पुराने वाहनों के बाजार

वहां से कई व्यापारी भीलवाड़ा लेकर आते है। यह कपड़े मध्यम वर्ग के परिवार वाले आसानी से ले जाते है। हालांकि कई पुराने कपड़े फुटपाथ पर भी बिकते है, लेकिन वे साइकिल रिक्शा या फिर हाथ ठेले वाले ही खरीदते है। इस तरह के कपड़ों का हर रविवार को सदर बाजार में बाजार भी सजता है सुभाष नगर बड़ी पुलिया के पास स्थित एक कपड़ा व्यापारी रतनलाल जैन का कहना है कि वे सैकण्ड हैण्ड कपड़े अजमेर, अहमदाबाद, जयपुर सहित अन्य शहरों से मंगवाते है। यह तौल के भाव आते है। इनमें वाहन साफ करने के कपड़े से लेहर हर तरह के कपड़े आते है। 
#Campaign टेेेेक्‍सटाइल स‍िटी में बढ़ा सैकंड हैंड चीजों का बाजार

हालांकि यह कपड़े मध्यम वर्ग के लोग ही ज्यादा लेते है। कपड़ों को सजा कर न रखकर केवल बोरों में रखते है। इनमें जिसको जो चाहिए वह अपने हिसाब से छांटकर ले जाते है। इन बोरों में अच्छी कपड़े भी आते है। कई बार तो चौपहिया वाहनों में आने वाले लोग भी टी शर्ट, शर्ट, लोवर, पायजामा, लड़कियों के लिए भी टीशर्ट व अन्य कपडे ले जाते है। इनमें भी कुछ कपड़ों की दर अलग-अलग है। इनमें सबसे अच्छ कपड़े तीन सौ से चार सौ रुपए किलोग्राम में मिल जाते है। जबकि‍ सामान्य कपड़े सौ से तीन रुपए किलो ग्राम तक मिलते है। एक किलोग्राम में तो से तीन टीशर्ट या अन्य कपड़े तुल जाते है। जैन का कहना है कि सबसे ज्यादा कपड़े का बाजार सर्दी के समय चलते है। इस समय गर्म कपड़े भी आते है। जो तोल पर बहुत सस्ते होने से इनकी खरीद बढ़ जाती है। साथ ही गर्म कपड़े बेचने वालों की संख्या भी बढ़ जाती है।

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