
जहां पहुंचे बच्चे का हाथ, शरीर के उसी हिस्से में हो रहे छोटे फफोले
भीलवाड़ा के शहर में पांच साल तक के बच्चों में अलग तरह की बीमारी के लक्षण उभरे हैं। उनके पूरे शरीर पर छोटे दाने नजर आते हैं, जो फफोले दिखते हैं। इससे बच्चों को बुखार, उल्टी दस्त जैसे दिक्कत होती है।चिकित्सकीय भाषा में इसे हैंड, फुट एंड माउथ डिजीज (एचएफएमडी) कहते हैं। खासकर एक साल से पांच साल से बच्चों में यह बीमारी देखी जा रही है। शहर में रोजाना इससे पीडि़त 225-250 बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं। यह संक्रामक बीमारी है। डॉक्टर इसे गंभीर बीमारी नहीं मानते।
मिली जानकारी के अनुसार, बच्चों के डॉक्टर अपने क्लीनिक में भी इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे देख रहे हैं। मुंह, हाथ व पैर में हल्के लाल दाने बन जाते हैं। साइज छोटी होती है। यह 7 से 10 दिन में ठीक हो जाते हैं। बच्चों के डॉक्टर का कहना है कि इसे लेकर डरने की जरूरत नहीं है। संक्रामक होने के कारण बचाव पर ध्यान देना जरूरी है। इसमें बच्चे का हाथ शरीर के जिस हिस्से को छूता है, वहीं छोटे फफोले बन जाते हैं।
पीडियाट्रिक्स डॉ. नीरज जैन ने बताया कि यह नई बीमारी नहीं है। हर साल इन दिनों में फैलती है। इसे हैंड, फुट और माउथ डिजीज कहते हैं। इसमें मूलरूप से हाथ, पैर व मुंह में लक्षण आते हैं इसलिए इसे हैंड, फुट और माउथ डिजीज बीमारी कहते है। इसमें सबसे ज्यादा मुंह के अंदर लाल छाले बन जाते हैं। अभी शहर के हर पीडियाट्रिक्स के पास 8 से 10 बच्चे प्रतिदिन आ रहे हैं। अधिकतर 5 साल से छोटे बच्चों में यह बीमारी ज्यादा देखी जा रही है। डॉ. जैन ने कहा कि यह माइल्ड वायरल डिजीज है। यह कोक्ससैकीय नामक वायरस से होती है। यह रेस्पेरेटरी ट्रैक के माध्यम से फैलती है। हाथ, पैर व मुंह में अल्सर कर देती है।
कितनी खरतनाक है यह
डॉक्टर जैन का कहना है, इसमें सबसे पहले फीवर आता है। गले में दर्द होता है। बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। हाथ-पैर व मुंह में फफोलेदार दाने बन जाते हैं। सबसे ज्यादा मुंह में दाने बनते हैं। इसमें जीभ, तालु और गाल के अंदर बनते हैं। इस स्थिति में बच्चे खाना नहीं खा पाते हैं। यह वायरस तेजी से फैलता है, लेकिन 7 से 10 दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। दो साल से कोरोना के कारण बच्चों में इम्युनिटी नहीं बनी है। इसलिए थोड़ा ज्यादा हो रही है।
इस तरह फैलती है यह बीमारी
वायरस से होने वाली बीमारी काफी संक्रामक है। सांस के जरिए फैलती है। संक्रमित मरीज के करीब जाने, उसके ड्रॉपलेट्स, उसके इस्तेमाल चीजों के संपर्क में आने से हो सकती है।किसी एक बच्चे को हो गई तो उसके संपर्क में आने से दूसरे बच्चे को भी हो सकती है। इस वायरस के खिलाफ कोई दवा नहीं है। फीवर हो रहा है तो उसकी दवा दी जाती है। गले में दर्द हो रहा है तो उसके लिए दवा दी जाती है। अमूमन 5 से 7 दिनों में यह ठीक हो जाती है। जिस भी बच्चे को यह बीमारी है, उसे पहले डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर ही इलाज लेना चाहिए। इसके बाद मरीज को आइसालेट कर दें, ताकि वे बाकी बच्चों से दूर रहें। उसके संपर्क में आने से दूसरे बच्चों को बीमारी का खतरा है। साफ-सफाई का खास ख्याल रखें, हाइजीन मेंटेन रखें।
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फैक्ट फाइल....
28 पीडियाट्रिक्स है शहर में
225-250 बच्चे प्रतिदिन आ रहे
1 से 5 साल के बच्चों में फैल रही यह बीमारी
7 से 10 में होती यह बीमारी ठीक होती है
Published on:
02 Aug 2022 08:42 am
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