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भीलवाड़ा

रोजगार छीनने से बढ़ गया पलायन का दर्द

कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए बंद हुई औद्योगिक इकाईयों के बाद रोजगार छीनने से आहत हुए श्रमिकों का जिले से बड़ी संख्या में पलायन हुआ है। बाहरी जिलों व राज्य से भी श्रमिकों व लोगों के पलायन का असर भीलवाड़ा पर भी पड़ रहा है। भीलवाड़ा शहर से सटे फोरलेन मार्ग पर समूह के रूप में लोग अपने घरों की तरफ बढ़ रहे है। corona in bhilwara

भीलवाड़ाApr 05, 2020 / 08:17 pm

Narendra Kumar Verma

Snatch of employment increases the pain of migration


भीलवाड़ा। कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए बंद हुई औद्योगिक इकाईयों के बाद रोजगार छीनने से आहत हुए श्रमिकों का जिले से बड़ी संख्या में पलायन हुआ है। बाहरी जिलों व राज्य से भी श्रमिकों व लोगों के पलायन का असर भीलवाड़ा पर भी पड़ रहा है। भीलवाड़ा शहर से सटे फोरलेन मार्ग पर समूह के रूप में लोग अपने घरों की तरफ बढ़ रहे है। एमपी, गुजरात व चित्तौडग़ढ़ जिले की तरफ से रोजाना बड़ी संख्या में लोग भीलवाड़ा बाइपास होते हुए अजमेर, जयपुर की तरफ जा रहे है। अन्य जिलों की सीमा से सटे गांवों में भी लोगों के पहुंचने पर स्थानीय प्रशासन ग्रामीणों की मदद से आश्रय दे रहा है।
गुजरात व महाराष्ट्र में आइसक्रीम व चौपाटी के काम धंधे बंद होने से यहां भीलवाड़ा जिले के सहाड़ा, मांडल,गंगापुर,करेड़ा क्षेत्र के काम कर रहे करीब दस हजार परिवार वापस लौट आए है। भीलवाड शहर में वस्त्र इकाईयां बंद होने से एक लाख श्रमिक बेरोजगार हो गए है। इनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार व पश्चिम बंगाल से है। इनमें से करीब पच्चीस फीसदी लोग अपने घरों को लौट गए है। इसी प्रकार मांडल व आसीन्द क्षेत्र में ईंट भट्टों के बंद होने से भी पांच हजार परिवारों ने पश्चिम बंगाल, यूपी व बिहार की राह पकड़ ली है। भीलवाड़ा शहर में सीवरेज परियोजना कार्य बंद होने से यहां जुटी बिहार, पश्चिम बंगाल व यूपी के श्रमिकों का पलायन अब तेज हो गया है। भीलवाड़ा शहर में कमठाणों व भवन निर्माण कार्य बंद होने का असर भी पलायन में देखने को मिल रहा है।

चित्तौडग़ढ़ के शास्त्रीनगर क्षेत्र में लम्बे समय से रह रहे यूपी के कई परिवार मकानों व औद्योगिक इकाईयों में पेंटिग व रखरखाव का कार्य बंद होने से गत सप्ताह से बेरोजगार है। ये लोग परिवार समेत भीलवाड़ा के रास्ते से यूपी स्थित गांवों को लौट रहे है। वीरन निशांत ने बताया कि कमाई छूटने से दाने दाने को मोहताज होने लगे है। परिवार पालने का संकट आ गया है, ऐसे में यूपी स्थित कानपुर लौटना पड़ रहा है। रामसिंह बताते है कि चित्तौडग़ढ़ में पिछले कई वर्षों से घरों में इंटिरियर डेकोरेशन और पेन्टिंग का कार्य कर रहे थे, पिछले 9 दिनों ने हम घर पर बैठे थे जिसके कारण हमें खाने.पीने की समस्या होने लग गयी गयी। इसके कारण परेशान होकर घरों को लौट रहे। वो बताते है कि ४० से अधिक लोग गोरूखपुर के 629 किलोमीटर के लम्बे सफर पर निकले है। Snatch of employment increases the pain of migration

भीलवाड़ा व चित्तौडग़ढ़ से अपने गांवों के लिए निकले लोग बताते है कि हाइवे से सटे कुछेक गांव के लोग उनकी मदद के लिए आ रहे है। कोई बिस्कुट व टॉस के पैकेट दे रहा है तो कई खाद्य सामग्री, पीने को पानी भी मिल रहा है। महिलाएं व बच्चों को भी दवा पानी दे रहे है। राह में उन्हें मिल रही बसें व ट्रक भी उन्हें कुछ दूरी तक छोड़ रहे corona in bhilwara

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