जबकि महात्मा गांधी चिकित्सालय के अधिग्रहित आयुष में अम्बेश में कुल आठ बेड खाली थे। गत 22 अप्रेल से लेकर सात मई के बीच में खाली बेड की स्थिति स्पष्ट नहीं थी, यहां स्थिति यह है कि बेड खाली होने की जानकारी मात्र से ही सामान्य वार्ड में भर्ती रोगी के परिजन बेड लेने के प्रयास में जुट जाते है। दूसरी तरफ कई गंभीर रोगियों के भी अचानक आ जाने से उन्हें ट्रोमा या इमरजेंसी से सीधे आईसीयू में भी लिया जा रहा है।
नहीं हो रही रोगियों की कमी आईएमए अध्यक्ष डॉ. दुष्यंत शर्मा ने बताया कि अप्रेल के अंत में गंभीर किस्म के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी थी, लेकिन स्थिति में आंशिक सुधार है। हालांकि कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या में कमी नहीं आई है। ऑक्सीजन युक्त बेड व वेंटिलेटर की मांग बनी हुई है। रोगियों को त्वरित उपचार मिल सके, सभी निजी चिकित्सालय यह प्रयास कर रहे है।
कलक्ट्रेट स्थित कोविड वार रूम के अनुसार ऑक्सीजन युक्त बेड की निजी चिकित्सालयों में उपलब्धता होने लगी है। शाम को शहर के निजी चिकित्सालयों में कुल 40 ऑक्सीजन युक्त बेड खाली थे, गत एक सप्ताह की रिपोर्ट के मुताबिक यह संख्या करीब चार गुनी है।