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भीलवाड़ा के आनंद की शक से जुड़ी कहानी

Story related to the arrest of Anand of Bhilwara भीलवाड़ा जिले का छोटा सा गांव ब्राह्मणों की सरेरी एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। इस बार कारण है अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी के आत्महत्या और उस मामले में गिरफ्तार हुए उनके शिष्य आनंद गिरी।

भीलवाड़ाSep 22, 2021 / 11:27 am

Narendra Kumar Verma

Story related to the arrest of Anand of Bhilwara

Story related to the arrest of Anand of Bhilwara

भीलवाड़ा। जिले का छोटा सा गांव ब्राह्मणों की सरेरी एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। इस बार कारण है अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी के आत्महत्या और उस मामले में शक के दायरे में उनके शिष्य आनंद गिरी। The story related to the suspicion of Anand of Bhilwara
आनंद गिरी भीलवाड़ा जिले के ब्राह्मणों की सरेरी गांव के ही रहने वाले हैं। महज तेरह साल की उम्र में गांव छोड़कर गए अशोक को दीक्षा के बाद आनंद गिरी नाम मिला था। प्रयागराज में महंत नरेंद्र गिरी के आत्महत्या के बाद आनन्द पर लगे आरोप और पुलिस कार्रवाई से ब्राह्मणों की सरेरी में रह रहे परिजन सकते में हैं। गांव में भी जब से इस घटना की सूचना पहुंची, हलचल सी मची हुई है। परिजनों का कहना है कि साजिश के तहत आनंद को फंसाया गया है। इन लोगों ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच कराने की मांग की है। The story related to the suspicion of Anand of Bhilwara
गांव छोड़ गए हरिद्वार, वहां महंत से मुलाकात

आसींद तहसील के ब्राह्मणों की सरेरी गांव में आनंद गिरी का जन्म वर्ष 1948 में हुआ था। उनका बचपन में नाम अशोक था। पिता रामेश्वरलाल चोटिया एवं माता नानू देवी हैं। आनंद गिरी के पिता गांव में खेती-बाड़ी करते हैं। वर्ष-1997 में अशोक कक्षा छह में अध्ययन के दौरान मात्र तेरह साल की अल्पायु में घर छोड़कर हरिद्वार चले गए। उस समय परिजनों ने काफी तलाश की, लेकिन पता नहीं लगा। हरिद्वार में अशोक की मुलाकात महंत नरेन्द्र गिरी से हुई। इस बीच परिजन तलाशते रहे। तेरह साल बाद कुंभ मेले में आनंद गिरी बन चुके अशोक की उसके पिता से मुलाकात हुई। The story related to the suspicion of Anand of Bhilwara
वर्ष 2012 में ली गांव में दीक्षा, दो बार आए

वर्ष-2012 में अशोक महंत नरेन्द्र गिरी के साथ अपने गांव ब्राह्मणों की सरेरी आया। यहां परिवार और ग्रामीणों के समक्ष उसने महंत नरेन्द्र गिरी से दीक्षा ग्रहण की। उसके बाद आनंद गिरी नाम मिला। उसके बाद वे महंत के साथ चले गए। दूसरी बार आनंद गिरी का उनकी माता के निधन पर आना हुआ। इसी साल 31 मई 2021 को माता का देहांत हुआ था। १ जून को आनंद गिरी ब्राह्मणों की सरेरी आए। यहां माता के दाह संस्कार में भाग लिया।
चार भाई, सबसे छोटे आनंद

चार भाइयों में आनंद गिरी सबसे छोटे हैं। आनंद गिरी के बड़े भाई भंवरलाल, कैलाश और रामस्वरूप अहमदाबाद और सूरत में व्यवसाय करते हैं। ब्राह्मणों की सरेरी में चारभुजा मंदिर के पास उनका साधारण सा मकान है। पिता रामेश्वरलाल ने बताया कि घर छोडऩे और साधु-संतों के साथ शामिल होने के बाद आनंद दो बार गांव आया। कभी-कभार फोन आता था। आनंद ने कभी भी परिवार से आर्थिक सहायता नहीं ली। ना कस्बे में उनकी कोई निजी सम्पति है। पिता का कहना है कि आनंद पर लगे आरोप सुनकर पीड़ा हुई। गांव के सौरभ चोटिया ने कहा कि आनंद गिरी को साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीबीआई जांच की मांग की है।

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