scriptडॉलर की मजबूती से निर्यात में आई जबरदस्त गिरावट | Strong decline in dollar exports in bhilwara | Patrika News

डॉलर की मजबूती से निर्यात में आई जबरदस्त गिरावट

locationभीलवाड़ाPublished: Oct 05, 2018 12:05:53 pm

Submitted by:

Suresh Jain

https://www.patrika.com/rajasthan-news/

Strong decline in dollar exports in bhilwara

Strong decline in dollar exports in bhilwara

स्थानीय बाजार प्रभावित, माल की नहीं हो रही बुकिंग

भीलवाड़ा।
रुपए के मुकाबले डॉलर में मजबूती के बावजूद टेक्सटाइल उत्पादों के निर्यात में सुस्ती आ गई है। निर्यात में जबरदस्त गिरावट से विदेशों से टेक्सटाइल यार्न, कपड़ा व रेडिमेड गारमेन्ट तथा डेनिम की बुकिंग तक नहीं मिल रही है। खरीदार पहले की बुकिंग का माल भी लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में उद्यमियों के पास न तो पैसा आ रहा है और ना ही नया ऑर्डर मिल रहा है। गौरतलब है कि अन्तरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल में तेजी के साथ ही डॉलर में भी तेजी आ रही है।
डॉलर में मजबूती आने से निर्यातकों को फायदा होता रहा है, लेकिन विदेशी मांग कम हो गई है। टेक्सटाइल उद्यमियों का कहना है कि मई, जून जुलाई में निर्यात अच्छा हो रहा था। अब एक माह से हालात बदल गए हैं। निर्यात में 25 से 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। व्यापारियों की मानें तो अन्तरराष्ट्रीय बाजार में मुद्रा में स्थिरता होने पर ही निर्यातकों को प्रोत्साहन मिलता है। इससे उन्हें खरीदारों से सौदा करने में मदद मिलती है। उतार-चढ़ाव या अस्थिरता पर कोई मदद नहीं मिलती है। वस्त्रनगरी से मुख्य रूप से अफगानिस्तान, मिस्र, अमरीका, दुबई व यूरोप के देशों में कपड़े का निर्यात होता है।
आयात पर असर
टेक्सटाइल के निर्यातक डॉलर मजबूत होने से परेशान हैं, वहीं आयातक भी परेशान हैं। स्पिनिंग, प्रोसेसिंग सहित अन्य टेक्सटाइल क्षेत्र में कच्चा माल आने के साथ डाई केमिकल्स भी विदेशों से आ रहा है। एेसे में रुपए के मुकाबले डॉलर पर भुगतान करना मुश्किल हो रहा है।
यार्न में 15 से 20 रुपए किलो की तेजी
डॉलर में तेजी आने से एक माह में यार्न में भी 15 से 20 रुपए प्रति किलोग्राम की तेजी आई है। एेसे में कपड़ा व्यापारियों ने यार्न खरीदना बन्द कर दिया है। इससे स्पिनिंग मिलों पर असर पड़ा और विविंग मशीनों की रफ्तार कम हो गई। इससे प्रोसेसिंग उद्योग भी प्रभावित हुआ है। स्थानीय कपड़ा व्यापारियों तक ने एक सप्ताह बाद शुरू होने वाली नवरात्र, दीपावली के बावजूद खरीदारी को रोक दी है।
डॉलर की स्थिति
1990 के दशक में डालर 17.01 रुपए था।- 1995 में बढ़कर 32.42 रुपए तक पहुंचा। – वर्ष 2000 में 43.50, 2006 में ४५.१९, २००८ में ४८.८८ रुपए तक पहुंचा।- २००९ में गिरावट से ४६.३७, २०१० में ४६.२१, २०११ में ४४.१७ रुपए तक आ गया। – २०१२ में तेजी के बाद ५७.१५, १२ सितम्बर २०१३ में ६२.९२ रुपए।- १२ सितम्बर २०१४ में फिर गिरावट से ६०.९५ रुपए प्रति डॉलर हो गया।
और तेजी की संभावना
१५ अप्रेल २०१५ से तेजी ने रुकनसे का नाम नहीं लिया। वर्ष २०१५ में ६२.३० रुपए, २४ नवम्बर २०१६ को ६७.६३, ९ मई २०१८ को ६४.८० तथा ३ अक्टूबर २०१८ को ७३.२१ रुपए डॉलर आ गया है। संभावना जताई जा रही है कि डॉलर में और तेजी आएगी।
खरीदारों ने रोकी मुद्रा
रुपए के मुकाबले डॉलर मजबूत होने से निर्यात पर प्रभावित हुआ है। खरीदार ने मुद्रा रोक ली है। टेक्सटाइल उत्पाद की मांग में गिरावट आई है।
अशोक खैरनजानी, निर्यातक, मिस्र

नहीं मिल रहे नए ऑर्डर
डॉलर कहां जाकर रुकेगा यह कहना मुश्किल है। अब कोई नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। व्यापारी के पास माल पहुंचने के बाद नेगोसिएशन करने में लगा है।
योगेश लढ्ढा, डेनिम निर्यातक
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो