ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने बताया कि बुधवार को चांदीपुरा के रोगी की सूचना मिलने पर एक टीम रात को भेजी गई। उसके मकान पर गए। बालिका का घर गांव से दूर खेत में होने से अन्य में यह रोग फैलने की संभावना नहीं है। खेत में गंदगी पड़ी मिली। कुएं के अंदर का पानी भी गंदा था। रोगी व आस-पास के घरों, मवेशियों के स्थान पर कीटनाशक व सायपरमेथ्रीन का छिड़काव किया गया।
शर्मा ने बताया कि गांव में 302 घर हैं, उनमें रहने वाले 1770 लोगों की जांच की गई है। इस दौरान बालिका के दो भाई जिनकी उम्र 17 व 5 साल है। उनको तीन दिन से बुखार आ रही है, लेकिन उल्टी व दस्त नहीं होने से चिंताजनक स्थिति नहीं है। फिर भी एतियातन इन दोनों का शुक्रवार को सेम्पल लेकर जांच के लिए उदयपुर भेजा जाएगा। सरपंच रामस्वरूप को गांव में सफाई कराने के लिए कहा गया।
यह मिले रोगी सर्वे के दौरान कुछ लोग बीमार मिले। इनमें नारायण बलाई, समता राजपूत को पेट दर्द, गुदड गुर्जर पुत्री सविता ढाई साल को बुखार है। गोपाल गुर्जर, रामनिवास माली व हर्षित को दस्त है। इनका प्राथमिक उपचार किया गया है। उप स्वास्थ्य केन्द्रईटडिया के सीएचओ व एएनएम को मुख्यालय पर रहने के साथ निरंतर डोर टू डोर सर्वे करने के निर्देश दिए है। गांव की स्थिति सामान्य है एंव किसी भी प्रकार की बिमारी का प्रकोप नहीं है।
यह है मामला ईटडि़या की बालिका को तेज बुखार व उल्टी दस्त होने पर 4-5 अगस्त की रात को 12 बजे बिजयनगर के श्रीनाथ चिकित्सालय में भर्ती कराया। हालत गंभीर होने पर 5 अगस्त को दोपहर एक बजे भीलवाडा के निजी चिकित्सालय में भर्ती करवा कर शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाया। यहां से रात आठ बजे अहमदाबाद के लिए रेफर किया। सुबह 4 बजे अहमदाबाद चिकित्सालय में भर्ती करया। 7 अगस्त को चांदीपुरा वायरस का खुलासा हुआ।
ऐसे फैलता चांदीपुरा वायरस चांदीपुरा वायरस एक दुर्लभ प्रकार का वायरस है जो मुख्य रूप से 9 माह से 14 साल के बच्चों को प्रभावित करता है। इसका नाम नागपुर क्षेत्र के चंडीपुरा इलाके में 1965 में मिले पहले रोगी के कारण गांव के नाम से रखा गया। यह चांदीपुरा वायरस रेत मक्खी के काटने से फैलता है। सैंड फ्लाई मच्छर से छोटी मक्खी होती है और इसका रंग रेत जैसा होता है। मक्खी के पंख बालों वाले होते हैं। भारत में रेत मक्खियों की कुल 30 प्रजातियां पाई जाती है।