आसीन्द व मांडलगढ़ में सबसे अधिक टीबी रोगी
ट्रूरूनाट मशीन से लगाएंगे टीबी रोग का पता
सभी जिलो को मिलेगी पोर्टेबल मशीन

भीलवाड़ा।
जिले में अब किसी को टीबी रोग की जानकारी ट्रूनॉट मशीन से की जाएगीा। इससे एक घंटे में इस रोग का पत्ता लगाया जा सकेगा। प्रदेश के सभी उपखण्डों की जानकारी मांगी है, जहां सर्वाधिक श्रमिक हैं या टीबी रोग की आशंका है। प्रदेश की 57 सीएचसी पर टीबी जांच के लिए अत्याधुनिक मशीनें आएगी।
प्रदेश के जिला क्षय रोग नियंत्रण अधिकारियों से यह मशीनें भेजने की जानकारी मांगी है। इसकी खासियत है कि ये पोर्टेबल है। कहीं भी उठाकर ले जाया जा सकता है। पांच लाख रुपए कीमत की मशीन बैटरी से चलेगी। शतप्रतिशत पता बताएगी कि रोग है या नहीं। ये मरीज के सैंपल में बैक्टीरिया लोड को कई गुणा बढ़ा देती है। ट्रूनॉट मशीन पीसीआर टेक्नोलॉजी पर आधारित है। आसानी से टीबी रोग का सही पता लगाया जा सकेगा। सैंपल के बाद 25 मिनट में बैक्टीरिया के डीएनए को कई गुना बढ़ा देती है। अगले 35 मिनट में बता देती है कि मरीज को टीबी रोग है या नहीं। इस मशीन से रिफामपीसिन दवा के प्रति प्रतिरोधकता का भी पता लगाया जा सकेगा।अभी माइक्रोस्कोपी से टीबी रोग की जांच हो रही है। वर्तमान विधि में मरीज के सैंपल में बैक्टीरिया लोड 10 हजार प्रति एमएल से कम हैं तो माइक्रोस्कोपी से इसका पता लगाना मुश्किल है। सैंपल को हायर लैब भेजा जाता है, जिसमें समय अधिक लगता है।
भविष्य पीएचसी पर भी लगेगी
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. प्रकाश शर्मा ने बताया कि हाल में सेंट्रल टीबी डिवीजन दिल्ली से प्रदेश के जिला क्षय रोग अधिकारियों से चिह्नित सीएचसी (जहां पर इस मशीन को लगाया जाना है) का डाक का पता व प्रभारी अधिकारी की जानकारी मांगी है। भीलवाड़ा से आसीन्द व माण्डलगढ़ की जानकारी भेजी है। अभी मशीन सीएचसी पर लगाई जा रही है। आगे इसे पीएचसी तक ले जाएंगे।
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