भीलवाड़ा के गांवों में इस जीव का खौफ, रात को गश्त लगाकर कर रहे परिवार की सुरक्षा
भीलवाड़ाPublished: Apr 11, 2019 08:42:49 pm
patrika.com/rajsthan news
The fear of this creature in the villages of Bhilwara, security of the family by patrolling the night
नरेंद्र वर्मा भीलवाड़ा. वन विभाग की ओर से कराई जाने वाली वन्य जीव गणना भी सवालों के घेरे में हैं। विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले में वर्ष २०१७ व २०१८ में हुई वन्य जीव गणना में एक भी पैंथर नहीं था। यहां तक की पग मार्क भी नजर नहीं आए। उधर, जिले में आए दिन गांवों में पैंथर घुसने की घटनाएं हो रही है। स्थिति यह है कि पिछले दो सालों में छह पैंथर की तो मौत हो चुकी है। वहीं कई पैंथर गांवों में आकर लोगों को व पशुओं को घायल कर चुके हैं। आखिर सवाल यह है कि जब विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले के वन क्षेत्र में पैंथर ही नहीं है तो फिर मरने के लिए यह पैंथर कहां से आ रहे हैं। हालात यह है कि जिले में वन्यजीव भीषण तपन और सूखते जलस्रोत के कारण गांवों की तरफ दौड़ रहे हैं। पानी की तलाश में वे वन क्षेत्र छोड़ कर आबादी क्षेत्र में घुस रहे हैं एेसे में हिंसक वन्य जीव दहशत का आतंक बन रहे है। सड़कों पर आने से हादसों में काल का ग्रास भी बन रहे हैं।
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पानी का इंतजाम करने में फेल हुआ विभाग
वन विभाग ने सूखते वन क्षेत्र में वन्य जीवों की प्यास बुझाने के लिए अब टांकों में पानी भरने का बीड़ा उठाया है। अब तक पानी नहीं होने से से प्यास से तडफ़ रहे थे। जिले के वन क्षेत्र भीषण गर्मी से तप रहे है, यहां अधिकांश परम्परागत जलस्रोत नाड़ी, तालाब, गड्डे व सरकारी टांके सूख चूके है, यहां दम तोडऩे की स्थिति में है। एेसे में वन्य जीव पानी की तलाश में अपने ठौर ठिकानें छोड़ कर आबादी क्षेत्र में घुस रहे है।
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जिले में कब और कैसे हुई पैंथर की मौत
१४ मई २०१८: बदनोर के खदान क्षेत्र में पानी की तलाश में आया पैंथर गहराई में फंस गया। दम घुटने व गर्मी से उसकी मौत हो गई।
११ जून २०१८: रायपुर के थाना गांव में पानी के लिए भटकते पैंथर की कुए में डूबने से मौत
१६ अगस्त २०१८: करेड़ा के जगदीश गांव में बीमार पैंथर को अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर, घायल पैंथर की बाद में मौत
३१ जनवरी २०१९: गंगापुर के पाटन में जलदाय विभाग के टैंक में पैंथर की डूबने से मौत
३१ जनवरी २०१९: आसीन्द के बोरेला चौराहा पर वाहन की चपेट में आने से पैंथर घायल, जयपुर जंतुआलय ले गए
२६ फरवरी २०१९: आसीन्द के कटार में पानी की तलाश में घुसे पैंथर को ग्रामीणों ने दबोचा
२७ मार्च २०१९: कारोही खुर्द में राजसमंद फोरलेन मार्ग पर अज्ञात वाहन की टक्कर से पैंथर की मौत
०७ अप्रेल २०१९: मांडलगढ़ में लाडपुरा के निकट फोरलेन मार्ग पर वाहन के कुचलने से पैंथर की मौत
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इधर, पैंथर पर हमले में पुलिस के चढ़े हत्थे
करेड़ा के सदबड़ा गांव में २१ अप्रेल २०१८ को पैंथर पर एक दर्जन लोगों ने लाठियों से हमला कर दिया। घटना में पैंथर घायल हो गया। पुलिस ने प्रकरण में छह ग्रामीणों को गिरफ्तार किया। वही मांडलगढ़ के उकलिया का खेड़ा में ४ मई २०१८ को पैंथर ने दो ग्रामीणों को जख्मी कर दिया। ग्रामीणों ने उसे वन विभाग की मदद से पकड़ा। ……………………………..
अब ढोल बजाकर कर रहे गश्त
दौलतगढ़, सांगणी, करेड़ा, कटार, बदनोर क्षेत्र में पैंथर की दहाड़ के साथ ही खेतों में नजर आने से ग्रामीणों की जान इन दिनों सांसत में है, बिजौलियां के बामणिया तालाब गांव के लोग तो पैंथर को भगाने के लिए रात को ढोल बजा कर गश्त कर रहे है। गत एक माह में एक दर्जन से अधिक मवेशी मारे जा चुके है। कई गांवों में तो ग्रामीण सामूहिक गश्त भी कर रहे है।
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इधर, बचाव में ये बयान: भीम व बस्सी क्षेत्र से घुस जाते हैंचित्तौडग़ढ़ का बस्सी अभ्यारणय व राजसमंद का भीम अभ्यारणय क्षेत्र जिले से जुड़ा है। यहां से पैंथर व अन्य हिंसक वन्य जीव पानी व भोजन की तलाश में जिले के वन क्षेत्र में घुस आते है। ये अमूमन चट्टान व गुफाओं में ही रहते है, इसी कारण इनकी मौजूदगी नजर नहीं आती। वन क्षेत्र में वन्य जीवों की प्यास बुझाने के लिए राज्य सरकार ने हाल ही एक लाख रुपए का बजट जिले को दिया है। टांकों को दुरुस्त कराने के साथ यहां टेंकरों से पानी भरा जाएगा।
ज्ञानचंद, उपवन संरक्षक, वन विभाग