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अलग-अलग स्लैब व नियम से होटल मालिक परेशान

locationभीलवाड़ाPublished: May 05, 2019 05:47:28 pm

Submitted by:

Suresh Jain

– कॉम्प्लिमेंट्री ब्रेकफास्ट पर जीएसटी वसूलने की नौबत

The hotel owner bothered by different slabs and rules in bhilwara

The hotel owner bothered by different slabs and rules in bhilwara

भीलवाड़ा।


जीएसटी लागू हुए दो साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन अब भी अलग-अलग स्लैब और अटपटे नियमों से ‘फॉर 10 ईयर्सÓ को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कंपोजिट स्कीम का लाभ लेने वाले होटलों को बिल में जीएसटी नहीं दिखाना होता, पर गलती से बिल में जीएसटी दिखाने पर जुर्माना चुकाना होता है। ऐसे नियमों के कारण होटल व्यवसाइयों की नींद उड़ गई है।
जीएसटी विशेषज्ञ सीएस गौरव दाधीच ने बताया कि होटल इंडस्ट्री में आमतौर पर किराए पर लगने वाला जीएसटी नियम अटपटे हैं। जैसे 2500 रुपए का एक रूम टेरिफ है और 200 का कॉम्प्लिमेंट्री ब्रेकफास्ट ग्राहक को दिया जाता है तो 2500 के किराए पर 12 प्रतिशत और 200 के ब्रेकफास्ट पर पांच प्रतिशत जीएसटी वसूलना होता है। लेकिन कानूनी तौर पर कुल 2700 के बिल पर 12 प्रतिशत जीएसटी वसूला जाता है। इसके अनुसार पूरे साल की जीएसटी गिनी जाए तो टैक्स बढ़ जाते हैं। एक दुविधा यह भी है कि एक रूम का किराया 7500 मान लिया जाए और उसमें 1000 रुपए का एक्स्ट्रा बेड रखा जाए तो 7500 पर 18 प्रतिशत और 1000 पर 5 प्रतिशत जीएसटी चुकाना होता है। यहां कुल 8500 के किराए पर 28 प्रतिशत के हिसाब से जीएसटी चुकाना होता है। इसी तरह कंपोजिट स्कीम का लाभ लेने वाले छोटे होटल मालिकों को कानूनी तौर पर बिल में जीएसटी दर अलग से नहीं बताना है, लेकिन अलग से बता दिया तो जुर्माना वसूला जाता है।
अब तक 5८3 बदलाव
सीए प्रकाश गंगवाल ने बताया कि अब तक केन्द्र सरकार ने जीएसटी से जुड़े १०० से अधिक सर्कुलर और 48३ नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं। इससे व्यापारियों के साथ-साथ सीए भी परेशान हैं। रेट में बदलाव ठीक है, लेकिन सब्सिडी सहित अन्य में बदलाव से परेशानी बढ़ रही है। व्यापारी पुराना नियम समझे तब तक वह बदल जाता है। इसमें कई नोटिफिकेशन ऐसे हैं, जिनके बारे में सीए भी नहीं जानते।
सर्कुलर और नोटिफिकेशन में बदलाव की जानकारी जल्दी नहीं मिल पाती है। मीडिया के जरिए जानकारियां मिलती हैं। यही वजह है कि कई बार समय पर रिटर्न नहीं भर पाते हैं। जीएसटी विभाग के पास सभी व्यापारियों के मोबाइल नंबर हैं। ऐसे में नोटिफिकेशन या सर्कुलर मोबाइल पर उपलब्ध कराए जाएं तो आसानी हो जाएगी।

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