जिले के ग्रामीण अंचल में अन्य आठ राजकीय महाविद्यालय खुलने के बाद भी बाहर की कई छात्राएं भीलवाड़ा के एसएमएम कन्या महाविद्यालय में पढ़ रही हैं। इनमें से कई को अपने रिश्तेदारों के पास तो कुछ को किराए के कमरों में रहना पड़ रहा है। हालांकि बाहर से आकर पढ़ाई करने वाली छात्राओं के लिए महाविद्यालय परिसर में छात्रावास बना हुआ है, लेकिन इस पर दो साल से ताले लटके हुए हैं। रखरखाव के अभाव में ये हाल हैं कि बारिश के मौसम में छात्रावास तक पहुंचना तक मुश्किल हो गया है। भवन के चारों तरफ पानी भरा हुआ है व झाड़ियां उगी हुई हैं।
दूरदराज से आती हैं छात्राएं करीब पन्द्रह वर्ष से छात्रावास चल रहा था। दो साल पहले वार्डन को हटाए जाने के बाद अन्य व्याख्याता वार्डन की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। महाविद्यालय प्रशासन के भी संचालन के प्रति गंभीर नही होने से छात्रावास में प्रवेश प्रक्रिया भी महज कागजी हो रही है।
छात्र संगठनों की रही अनदेखी
सामाजिक सुरक्षा एवं अधिकारिता विभाग के अधीन आरक्षित वर्ग के लिए एक कन्या छात्रावास महाविद्यालय परिसर में है, लेकिन यहां भी सुविधाओं का अभाव है। इसमें भी छात्राओं की संख्या अधिक है। छात्राओं की पीड़ा है कि छात्र संगठनों ने भी उनकी समस्या प्रमुखता से नहीं उठाया है।वार्डन की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहींमहाविद्यालय प्रशासन ने कॉलेज की वरिष्ठ व्याख्याताओं को वार्डन की जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन किसी ने रुचि नहीं ली। नियमानुसार वार्डन का छात्रावास में २४ घंटे रुकना जरूरी है। वार्डन के लिए छात्रावास के निकट ४० लाख की लागत का वार्डन आवास बनाया गया। यह भी बंद पड़ा है। दो साल में इसका भी लोकार्पण नहीं हो सका। रख रखाव के अभाव में यह आवास भी उजाड़ हो गया है।मांगते हैं आवेदन, लेकिन रुचि ही नहीं
छात्रावास स्वरूवित्त पोषित व्यवस्था से संचालित होता है। छात्राएं प्रवेश में रुचि नहीं ले रही हैं। गत दो वर्ष से पर्याप्त संख्या में आवेदन नहीं आए है। इसी कारण इसका संचालन नहीं हो सका। नए शिक्षा सत्र में भी आवेदन मांगे गए हैं।
राकेश शर्मा, प्राचार्य, कन्या महाविद्यालय