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भीलवाड़ा

वैट के पुराने मामले हो समाप्त

कांग्रेस सरकार का दूसरा बजट अगले माह

भीलवाड़ाJan 17, 2020 / 11:17 am

Suresh Jain

The old cases of VAT are over in bhilwara

The old cases of VAT are over in bhilwara

भीलवाड़ा।
Discussion on Budget 2020 कांग्रेस सरकार की ओर से अगले माह विधानसभा में बजट पेश किया जाएगा। इस सरकार का यह दूसरा बजट होगा। बजट को लेकर सीए वर्ग को काफी उम्मीदे हैं। भीलवाड़ा शहर के चार्टर्ड अकाउंटेंट का मानना है कि भीलवाड़ा जिले से सबसे अधिक राजस्व सरकार को मिनरल व टेक्साटइल उद्योग से मिल रहा है। Discussion on Budget 2020 उसके बाद भी विकास के मामले में भीलवाड़ा काफी पिछड़ा हुआ है। रियल एस्टेट में कई संभावना है, लेकिन स्टाम्प ड्यूटी अधिक होने से इसका लाभ गरीब तबके को नहीं मिल रहा है। राजस्थान पत्रिका ने बजट से पूर्व शहर के सीए के साथ गुरुवार को चर्चा की। इसमें शहर के विकास से जुड़े कई मुद्दे सामने आए। पेट्रोल व डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इसके कारण परिवहन खर्च बढऩे से हर वस्तु महंगी हो रही है। सरकार अपना वैट कम करे तो अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान में भी पेट्रोल व डीजल सस्ता मिल सकता है। स्टेट टोल टेक्स बन्द था वह पुन: लागू किया है इससे हर व्यक्ति प्रभावित हुआ है। इसे हटाया जाना चाहिए।
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मेरी बात:
रिप्स का गजट १७ दिसम्बर २०१९ को जारी किया है। जबकि इसकी घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में की थी। दिसम्बर से पूर्व जिन्होंने नया निवेश किया है या उद्योग लगाया है तो उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। कांग्रेस सरकार को अपने बजट में इन उद्योगों को भी राहत देने का प्रयास करना चाहिए ताकि आर्थिक संकट से परेशान उद्यमियों को राहत मिल सके।
आलोक पलोड़, चेयरमेन सीए इंस्टीट्यूट
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स्टाम्प ड्यूटी व निर्यात के लिए अतिरिक्त पैकेज या अनुदान मिलना चाहिए। ताकि उद्योग चल सके। टेक्सटाइल उद्योग लम्बे समय से मंदी के दौर से गुजर रही है। आधारभूत सुविधा के साथ-साथ यह दोनो सुविधा मिले तो उद्योग चल सकेंगे।
संजय सोमानी, चेयरमेन चेयरमेन सीए इंस्टीट्यूट
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टेक्सटाइल उद्योगों के लिए केन्द्र व राज्य सरकार के कोई विशेष पैकेज नहीं मिल पा रहा है। विशेषकर राजस्थान इस मामले में काफी पिछड़ा हुआ है। सरकार कई वायदे तो करती है, लेकिन पूरा नहीं कर पाती है। भीलवाड़ा टेक्सटाइल के हालात ठीक नहीं है। उत्पादन कम हो रहा है। इसे उभारने के लिए सरकार को कदम उठाने होंगे। केन्द्र सरकार हाउसिंग प्रोजेक्ट पर ध्यान दे रही है, लेकिन राज्य सरकार ने जो स्टाम्प ड्यूटी लगा रखी है वह कई अधिक होने से लाभ नहीं मिल रहा है।
नवीन वागरेचा, सीए
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रिप्स योजना उद्यमियों को ध्यान रखते हुए बनाई है, लेकिन इस योजना का लाभ तहसील स्तर तक मिले इसके लिए प्राइवेट पार्टनर स्कीम लागू करनी चाहिए। ताकि गांव व तहसील स्तर पर रोजगार मिल सकेगा। सेज योजना बनाई जानी चाहिए।
नरेश माहेश्वरी, सीए
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सरकार का ध्यान केवल राजस्व प्राप्त करने पर है। किसी भी योजना के लिए बजट का प्रावधान तो कर दिया जाता है, लेकिन वह अन्तिम छोर तक नहीं पहुंच पाता है। उद्योग व व्यापार मंदी की दौर पर है। इस पर सरकार को ध्यान देना होगा। उद्योग नहीं रहेंगे तो रोजगार मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।
सीमा सोमानी, सीए
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रियल एस्टेट से कई व्यापार जुड़े होते है। लोगो को रोजगार मिलता है। लेकिन अभी पूरे देश में इस क्षेत्र में मंदी का दौर है। केन्द्र सरकार इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कुछ योजना शुरू की है। राज्य सरकार इस योजना को बढ़ावा देने के लिए स्टाम्प ड्यूटी को कम करती है सभी को फायदा होगा।
दिनेश सुथार, सीए
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जीएसटी से पहले राजस्थान में वैट लागू था। उस समय सी फॉर्म व बिल मिस मैच के कई मामले लम्बित चल रहे हैं। जबकि जीएसटी लागू हुए दो साल हो गए हैं। सरकार ने वैट एमनेस्टी योजना लागू की लेकिन इसकी पालना अभी तक नहीं हो पाई है। व्यापारियों को राहत देने के लिए इस योजना को जल्द लागू करे ताकि पुराने मामलों में लाखो-करोड़ों रुपए की डिमांड है वह समाप्त हो सके।
प्रदीप सोमानी, सीए
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नोटबंदी, जीएसटी व आर्थिक संकट के चलते उद्योग संकट में हैं। रिप्स योजना से उद्योगों को फायदा होगा, लेकिन जो कमी है उसे सरकार के माध्यम से पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा। गरीब तबके को लोगों को सस्ते मकान मिले इसके लिए स्टाम्प ड्यूटी को कम करने के प्रस्ताव भेजे जाएंगे। जीएसटी लागू होने के बाद भी वैट में कई डिमांड बाकी चल रही है। उसे समाप्त कराने के प्रयास करेंगे। यह मुद्दे सरकार को भिजवाएंगे।
अशोक जैथलिया, लोकसभा संयोजक सीए प्रकोष्ठ कांग्रेस
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– आईना:
दो साल से वैट के मामले को समाप्त करने के लिए एमनेस्टी योजना लागू करने की घोषणा की जा रही है, लेकिन वह धरातल पर पूरी नहीं हो पा रही है। इसके कारण प्रदेश के हजारों व्यापारियों की आज भी लाखों रुपए की डिमांड बकाया चल रहा है। सरकार एमनेस्टी स्कीम को लागू करे तो राजस्व मिलेगा तथा पुराने मामले भी समाप्त होंगे। भाजपा सरकार ने भीलवाड़ा जिले में सिरेमिक जोन की घोषणा की थी। सरकारें बदल गई लेकिन वह अब भी पूरी नहीं हुई है। जबकि जिले का रॉ मेटेरियल गुजरात के मोरवी जा रहा है। गैस पाइप लाइन का काम भी चल रहा है।
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– अपेक्षा:
जिले में मिनरल के प्रचूर संभावना है। इससे सरकार को सबसे अधिक राजस्व भीलवाड़ा जिले से मिल रहा है। उसके बाद भी भीलवाड़ा जिले की विकास के रूप में उपेक्षा की जा रही है। खनिज आधारित उद्योग पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। यहा उद्योग लगेंगे तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
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– मंदी की बात:
भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है। इसे उभारने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए। रिफ्स में कुछ बिन्दु छूट गए। उन्हें समावेश करे तो टेक्सटाइल उद्योग को काफी राहत मिलेगी। बजरी पर रोक है, लेकिन इसका अवैध दोहन होने से बजरी महंगी मिल रही है। इसका असर रियल एस्टेट व मध्यम वर्ग पर भी पड़ रहा है। मकानों की किमते बढ़ रही है। इसके चलते रियल एस्टेट भी मंदी के दौर से गुजर रहा है।
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– संभावना:
सिरेमिक जोन का रास्ता साफ हो। वैट के पुराने मामला को निस्तारण के लिए कोई स्कीम लागू करे। पेट्रोल व डीजल पर राज्य सरकार की ओर से वैट दर को करे तो हर वर्ग को फायदा होगा। उद्यमियों की ओर से स्वयं के उद्योग पर लगाए गए सोलर प्रोजेक्ट पर लगाए गए सेस को समाप्त किए जाने की संभावना है। नए उद्योग लगे इसके लिए सरकार को कोई योजना की घोषणा करनी चाहिए।

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