मानसून की आहट, ईंट-भट्टे मजदूरों का पलायन
भीलवाड़ाPublished: Jun 12, 2021 08:24:44 pm
मानसून में भट्टों पर नहीं होता कामदीपावली बाद लौटेंगे श्रमिक
मानसून की आहट, ईंट-भट्टे मजदूरों का पलायन
भीलवाड़ा।
गांव में आय का कोई जरिया नहीं है, इसलिए परिवार लेकर भीलवाड़ा में ईंट के भट्टों पर मजदूरी के लिए आते है, लेकिन मानसून में भट्टों पर ईंटे बनाने का काम बंद हो जाता है, इस कारण ज्यादातर मजदूर परिवार के साथ वापिस यूपी-बिहार में अपने गांव लौटने लगे हैं। उनका कहना है कि पेट के खातिर जहां रोजगार मिलेगा, वहां जाना पड़ेगा। भीलवाड़ा जिले में सैकड़ों ईंट भट्टों पर हजारों की संख्या में दूसरे राज्यों से आए मजदूर काम करते है।
एक मजदूर का कहना था कि उसकी सात लड़कियां हैं। पेंशन और अन्य योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता है। ऐसे में चार महीने यहां खाली बैठकर गुजारा नहीं हो सकता। दो वक्त की रोटी के लिए दूसरा काम करना ही पड़ेगा। दरअसल करीब आठ महीने बाद अपने घर लौट रहे ईंट भट्टा मजदूरों का जीवन किसी दर्द से कम नहीं है। उनका कहना है कि अगर बिहार में उन्हें लगातार काम मिले तो वे इतनी दूर भीलवाड़ा क्यों आएं। अब तीन-चार महीने बरसात में घर रहेंगे। उसके बाद फिर से रोजी-रोटी के लिए भीलवाड़ा लौटेंगे।
पिछले कुछ दिनों से लगातार ये मजूदर यूपी और बिहार में अपने गांव लौट रहे हैं। ट्रेन के टिकट के रुपए भट्टा मालिक ने दिए हैं। उनकी मजदूरी का भी भुगतान हो चुका है। ऐसे में अब ये मजदूर और उनके परिजन २५-३० के समूह में ट्रेन से जा रहे हैं।
चिमनी भट्टों पर काम बंद
जिले में संचालित चिमनी र्इंट-भट्टो पर परिवार के पालन पोषण के लिए अन्य राज्यों से आए श्रमिक अपने गांव लौटने लगे है। मांडल क्षेत्र में लगभग सभी भट्टों पर निर्माण कार्य बंद हो गया है। यूपी से आए करीब 80 फीसदी श्रमिक पुन: गांव लौट चुके है। बिहार से आए श्रमिक भी जाने लगे है।
-संजय कुमावत, जिलाध्यक्ष जिला चिमनी ईट उधोग