scriptबांधों की गुल्लक खाली, आसमां पर टकटकी | The piggy bank of the dams is empty, gaze at the sky | Patrika News

बांधों की गुल्लक खाली, आसमां पर टकटकी

locationभीलवाड़ाPublished: Jun 20, 2021 10:12:11 am

Submitted by:

Akash Mathur

जिले में फिर मानसून का बेसब्री से लोगों को इंतजार है। जिले के तालाबों और बांधों की गुल्लक खाली पड़ी हो गई है। लोग आसमां पर टकटकी लगाए देख रहे है। इस बार जल संसाधन विभाग के अधीन छोटे-बड़े साठ बांध और तालाब लगभग खाली पड़े है। जलाशय सपाट मैदान में तब्दील हो चुके है। कुल भराव क्षमता का इस समय महज साढ़े आठ प्रतिशत ही पानी है।

The piggy bank of the dams is empty, gaze at the sky

The piggy bank of the dams is empty, gaze at the sky

भीलवाड़ा. जिले में फिर मानसून का बेसब्री से लोगों को इंतजार है। जिले के तालाबों और बांधों की गुल्लक खाली पड़ी हो गई है। लोग आसमां पर टकटकी लगाए देख रहे है। इस बार जल संसाधन विभाग के अधीन छोटे-बड़े साठ बांध और तालाब लगभग खाली पड़े है। जलाशय सपाट मैदान में तब्दील हो चुके है। कुल भराव क्षमता का इस समय महज साढ़े आठ प्रतिशत ही पानी है। मानसून आगाज के साथ इनके भरने का ग्रामीणों को इंतजार है। कई बांध ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई का प्रमुख साधन है। पिछले साल वर्ष मानसून की मेहरबानी नहीं रही थी। इस बार अच्छी बरसात की लोगों को उम्मीद है।
तीन जलस्त्रोतों में पानी, बाकी जीरो पर अटके

इस समय मेजा बांध, कोठारी और माण्डल तालाब में ही कुछ पानी बचा है। बाकी सभी बांध और तालाब सूखे पड़े है। जिले का सबसे बड़ा मेजा बांध में इस समय एक फीट पानी है। चम्बल परियोजना आने के बाद मेजा बांध पर निर्भरता कम होने से जलसंकट से मुक्ति मिली। परियोजना के आने से पहले मार्च-अप्रेल तक ही मेजा की सांसें फूलने लग जाती थी।
८१ प्रतिशत हुई थी बारिश, फिर भी जलाशय थे खाली

जिले में बरसात का औसत ६४३ मिलीमीटर है। इसके मुकाबले वर्ष २०२० में ८१.७३ प्रतिशत बरसात हुई थी। जिले औसत के मुकाबले ५२६ मिलीटर वर्षा दर्ज की गई थी। उस समय चन्द्रभागा, खारी जैसे कई बांध सूखे ही रह गए थे। मेजा बांध में भी ७.५० फीट पानी आया था।
दो साल की बरसात की तुलनात्मक स्थिति
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