शराब से भरे ट्रक को राजसमन्द आबकारी विभाग को किया सुपुर्द
भीलवाड़ाPublished: Jul 08, 2020 10:47:59 am
19 अक्टूबर को सेल्स टैक्स विभाग की टीम ने पकड़ा था नेगडय़िा टोल नाके से ट्रक
The truck filled with alcohol was handed over to the Excise Department in bhilwara
भीलवाड़ा . करीब आठ माह पहले सेल्स टैक्स विभाग टीम की ओर से पकड़े गए शराब से भरे ट्रक का गत दिनों सेल टैक्स आयुक्त के हस्तक्षेप के बाद राजसमन्द आबकारी विभाग के सुपुर्द कर दिया है। अब आबकारी विभाग शराब व ट्रक की नीलामी करके राशि वसूल करेगी। विभाग की ओर से ट्रक चालक व मालिक को नोटिस देने के बाद भी एक भी बार विभागीय अधिकारी से सम्पर्क नहीं किया। ऐसे में यह ट्रक विभाग के परिसर में पड़ा हुआ था। अधिकारियों ने ट्रक के निस्तारण के लिए मांगे गए मार्गदर्शन पर इस ट्रक को शराब सहित राजसमन्द आबकारी विभाग को सुपुर्द करने के आदेश दिए।
सेल्स टैक्स विभाग के संयुक्त आयुक्त रामलाल चौधरी ने बताया कि एन्टीविजन के शाखा प्रभारी कानाराम को गत दिनों इस ट्रक के निस्तारण के लिए आदेश जारी कर दिए थे। इस ट्रक को नाथद्वारा आबकारी अधिकारी शकुन्तला जैन को सौप दिया गया है। अब सभी कार्रवाई आबकारी विभाग को ही करनी है।
कानाराम ने बताया कि १९ अक्टूबर को उदयपुर-नाथद्वारा हाईवे के नेगडिय़ा टोलनाके पर टैक्स चोरी की आशंका में ट्रक को पकड़ा। दस्तावेजों की जांच में अलग-अलग तथ्य मिलने पर ट्रक को जब्त किया गया। ट्रक में चावल की बिल्टी मिली। माल का भौतिक सत्यापन किया तो ट्रक में चावल के बजाय भूसी के कट्टों के नीचे छिपाकर रखी लाखों रुपए कीमत की 500 कार्टन शराब मिली। ट्रक चालक ने अपना नाम जोधपुर के बरनाऊ क्षेत्र के पंडितों का बास निवासी पुखराज पुत्र भगताराम बताया था। श्री श्याम बाबा ट्रांसपोर्ट कंपनी की बिल्टी में भी चावल लिखा हुआ था, जो जोधपुर से इंदौर जाना बताया गया। ई-वे बिल पर तथ्यों में विरोधाभास नजर आने पर ट्रक को जब्त कर भीलवाड़ा लाया गया था। लेकिन बीच में ही ट्रक चालक फरार हो गया था। शराब भरी ट्रक जोधपुर पासिंग नंबर की है। इसकी नंबर प्लेट के नीचे रुतबा जमाने के लिए भाजपा के रंग व निशान वाली पट्टी लगी है। इसी पट्टी पर जाट महासभा अध्यक्ष शेरगढ़ भी लिखा है।
तथ्यों में थी गड़बड़ी
चालक के साथ ही ई-वे बिल में ट्रक में चावल भरे होने की बात कही गई। गुप्ता एंटरप्राइजेज के ई-वे बिल में माल गुप्ता ट्रेडिंग कंपनी कांडला पोर्ट पहुंचाने की बात लिखी थी। ई-वे बिल में माल की कीमत 8 लाख बताई गई। वहीं जीएसटी की रसीद में अंकों में ये कीमत 89.60 लाख रुपए बताई गई। जबकि राशि शब्दों में 33 लाख 37 हजार 600 रुपए लिखी हुई थी। इससे अधिकारियों का शक गहरा गया। मुकेश दुधवाल, मुकेश चौधरी, कुलभानसिंह ने बताया कि भौतिक सत्यापन के दौरान चावल के कट्टे के स्थान पर ५०० शराब के काटुर्न थे।