भीलवाड़ा

भीलवाड़ा मॉडल के ये सुपर हीरो डॉक्टर्स

देश ही नहीं विदेश में कोरोना काल के दौरान भीलवाड़ा मॉडल यूं ही नहीं उभरा, इसके पीछे डेढ़ माह के संघर्ष और विपरीत परिस्थितियों में टीम वर्क के साथ कैसे काम किया जाता है, इसकी साहसिक कहानी छिपी है। भीलवाड़ा मॉडल के हीरो की बात करे तो इसमें सबसे पहले नाम जिले के चिकित्सकों का आएगा। इसमें भी महात्मा गांधी चिकित्सालय के आईसोलेशन व स्टेप डाउन वार्ड में घंटों काम करने वाले चिकित्सकों की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण रही है, These super hero doctors of Bhilwara model

भीलवाड़ाJul 01, 2020 / 11:59 am

Narendra Kumar Verma

These super hero doctors of Bhilwara model

भीलवाड़ा। देश ही नहीं विदेश में कोरोना काल के दौरान भीलवाड़ा मॉडल यूं ही नहीं उभरा, इसके पीछे डेढ़ माह के संघर्ष और विपरीत परिस्थितियों में टीम वर्क के साथ कैसे काम किया जाता है, इसकी साहसिक कहानी छिपी है। भीलवाड़ा मॉडल के हीरो की बात करे तो इसमें सबसे पहले नाम जिले के चिकित्सकों का आएगा। इसमें भी महात्मा गांधी चिकित्सालय के आईसोलेशन व स्टेप डाउन वार्ड में घंटों काम करने वाले चिकित्सकों की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण रही है, यही कारण है कि शहर में कोरोना पर अंकुश कर यह स्वास्थ्य योद्धा घर लौटे तो इनके स्वागत में मोहल्ले ने पलक पावड़े बिछा दिए। यह सभी चिकित्सक आज भी उसी उत्साह एवं जोश के साथ काम कर रहे है, भीलवाड़ा में कोरोना संक्रमितों के ठीक हो कर घर लौटने का प्रतिशत ८७ फीसदी है। डॉक्टर्स डे पर सुपर डॉक्टर्स ने यंू बयां की अपनी बात। These super hero doctors of Bhilwara model

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डॉ. राजन नंदा, प्रिंसीपल, भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज
भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.राजन नंदा के कोरोना काल में मेडिकल कॉलेज में कोरोना लेब की स्थापना में भागीरथी प्रयास साबित हुए। शुरूआती दौर में कोरोना नमूनों की जांच के लिए सेम्पल जयपुर जा रहे थे और रिपोर्ट आने में पांच से दस दिन लग रहे थे। एेसे में कलक्टर के साथ ही नंदा के प्रयास सार्थक हुए। २० मार्च को कोरोना संक्रमित के छह मामले सामने आने पर उन्होंने चिकित्सा व्यवस्था की कमान संभान ली। डॉ.नंदा बताते है कि निश्चित ही वो दौरान काफी चुनौती पूर्ण था, कई रात एमजीएच में ही रहे, आईसोलेशन वार्ड टीम की हौसला अफजाई की, यही कारण है कि जिला फिर कोराना मुक्ति की राह पर है।
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डॉ. अरुण गौड, अधीक्षक महात्मा गांधी चिकित्सालय
देश में कोरोना की सबसे पहले बड़ी दस्तक भीलवाड़ा में ही हुई और महात्मा गांधी चिकित्सालय का आइसोलशन वार्ड देश व विदेश में सुर्खियों में आ गया। एेसे में चिकित्सालय अधीक्षक डॉ.अरुण गौड की जिम्मेदारी कही अधिक बढ़ गई। ३० मार्च तक २५ कोरोना संक्रमित केस आने और दो संक्रमितों की मौत ने डॉ.गौड व उनकी टीम को अंदर तक हिला दिया, लेकिन उन्हांेंने हिम्मत नहीं हारी। घंटों वार्ड में रहते, रोगियों की चिकित्सा व्यवस्था पर नजर रखते और चिकित्सकों व नर्सिग स्टाफ को प्रोत्साहित करते और उन्हें कोरोना से लडऩे के टिप्स देते, इतना ही नहीं डॉ. गौड की पत्नी डॉ.रजनी गौड़ भी उनके साथ समूचे चिकित्सा टीम का भोजन का ख्याल रखती। डॉ. गौड बताते है कि कोरोना संक्रमित अभी भी आ रहे है, लेकिन शुरूआती २० दिन काफी चिंता बढ़ाने वाले थे, आइसोलेशन वार्ड से लेकर क्वारंटीन सेंटर में चिकित्सकों ने अच्छी मेहनत की, यही कारण है कि ठीक हो कर घर लौटने वाले रोगियों का प्रतिशत बढ़कर ८७ फीसदी हो गया है।
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डॉ. सुरेन्द्र मीणा, फिजिशियन एमजीएचवो दिन काफी भयभीत करने वाले थे, दिल के किसी कोने में यह भय रहता था कि कही हमें भी कोरोना ना हो जाए, लेकिन वार्ड में कोरोना संक्रमितों के इलाज में जुटे तो फिर सब कुछ भूल गए। यह कहना है डॉ. सुरेन्द्र मीणा का। डॉ. मीणा ने सहयोगी डॉ.दौलत मीणा के साथ रात दिन वार्ड में कार्य किया। पत्नी गर्भवती थी और घर में नया सदस्य आने वाला था, इसके बावजूद डॉ.सुरेन्द्र कई दिनों तक घर नहीं गए, पत्नी ने भी एेसे विकट समय में उनका साथ दिया और कहाकि वो कोरोना को भगाकर आए और उन्हें जल्द उपहार मिलेगा। डॉ.सुरेन्द्र मीणा बताते ह ैकि एक साथ दो बेटों का पिता होने की खुशी ने कोरोना काल में बिताए सभी दुखों को दूर कर दिया है। वो बताते है कि दवा, इम्युनिटी पावर ने कोराना को हराया है।
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डॉ.रामावतार बैरवा, वरिष्ठ फिजिशियन, एमजीएचजिन्दगी में कई जटिल केस आए और उसमें परेशान रोगी को निजात भी दिलाई, लेकिन कोरोना काल के शुरूआती दौर में जो मरीज आए, उनकी हालत वास्तव तकलीफ दायक थी। वरिष्ठ फिजिशियन डॉ.रामावतार बैरवा ने यह बात कही। वो बताते है कि कोरोना को लेकर कई भ्रांतियां भी थी, इसी कारण कई बार मन असहज भी हुआ। लेकिन हिम्मत नहीं छोड़ी। रोगी स्वस्थ्य हो कर घर लौटे इसी में जुट गए। प्रिसींपल डॉ. गौड उन्हें लगातार प्रोत्साहित करते। डॉ. बैरवा बताते है कि उनकी धर्म पत्नी डॉ. ममता गंगवाल ने भी चिकित्सालय में काफी सहयोग किया।
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आयुर्वेद का लिया सहारा
गंगापुर. शिवरती आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ.सतीश शर्मा ने कोरोना मुक्ति के लिए क्षेत्र में आयुर्वेद व प्रकृति सहारा लिया और मिसाल कायम की। शर्मा ने मौसमी बीमारियों के समय काढ़ा वितरण, योग, पौधारोपण की जिम्मेदारी निभाई। वैश्विक महामारी के समय महाप्रज्ञ भवन आजादनगर भीलवाड़ा तथा सोमिला स्कूल गंगापुर में करीब डेढ़ माह क्वंरटीन केन्द्र प्रभारी रहे। अभी सवा माह से टपरिया खेड़ी चेक पोस्ट पर स्क्रीनिंग का काम देख रहे है
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रातों को जागे
शाहपुरा. कोरोना संक्रमण काल में शाहपुरा सेटेलाइट चिकित्सालय की टीम ने रातों को जाग कर सेवा दी है। प्रभारी डॉ. अशोक जैन, डॉ.हीरापाल मीणा, डॉ.अभय धाकड़, डॉ. श्रद्धा जैन, डॉ. रवि वर्मा, डॉ देवी रानी, डॉ. दुर्गालाल मीणा ने अपने कर्तव्यों का पूर्ण तरीके से निर्वहन करते हुए सेवाएं प्रदान कर क्षेत्र में कोरोना के काविड-१९ से बचाये रखा। क्वांरटीन सेंटर प्रभारी डॉ. रवि कुमार वर्मा ने बताया कि सेटेलाइल चिकित्सालय से लेकर क्वांरटीन सेंटर मं चिकित्सकों ने जो सेवा की उसका ही नतीजा है कि शाहपुरा क्षेत्र सुरक्षित है।
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बच्चों के साथ बड़ों को भी देखा
मांडलगढ़.सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत कार्यरत सभी डॉक्टर्स की सेवाएं सराहनीय है । इनमें शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष पुरोहित ने कोविड.19 के चलते हुए भी नीडर होकर बच्चों की चिकित्सा सेवा की। गरीब एवं असहाय रोगियों से घर पर कई बार फ ीस नहीं लेकर भी सहयोग प्रदान करते हैं । कोविड.19 स्क्रीनिंग के अंतर्गत सभी डॉक्टर के समान लगभग 3 सप्ताह तक क्षेत्र में स्क्रीनिंग करने के अंतर्गत सेवाएं दी ।
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नहीं लिया अवकाश
करेड़ा. डॉ. प्रभाकर अवताड़े ने कोरोना काल से अभी तक एक भी दिन का अवकाश नहीं लिया। माण्डल ब्लॉक में माण्डल, करेड़ा, बागोर चिकित्सालय की नियमित मोनिटरिंग के साथ क्षेत्र में बाहर से आने वाले प्रवासियो की जांच सेम्पलिंग लेने में पूर्ण सहयोग किया। पॉजिटिव व्यक्तियों के घर के आस पास के 5 किलोमीटर के गांवो में 15 दिन में 3 बार जांच कराई और घर घर सर्वे कराया।
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दवा, मास्क तक बांटे
काछोला. काछोला चिकित्सा प्रभारी डॉ. सुशील कुमार जैन व डॉ. कुमार मयंक जैन कोरोना काल में जरुरतमंदों की सेवा में जुटे रहे। निर्धन, दिव्यांगों, विधवाओं व जरूरतमन्द परिवारों को लॉक डाउन में खाद्य व राशन सामग्री तक पहुंचाई। इन्होंने राशन सामग्री के साथ साथ मास्क भी निजी स्तर पर बांटे।
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रेपिड हिस्सा रहे
आकोला. राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. कमलेश सुखवाल 22 मार्च से जिला मुख्यालय पर कोविड.19 के अंतर्गत सेवाएं दे रहे हैं। रेपिड रेस्पांस टीम का भी हिस्सा रहे। इसी प्रकार डॉ. सुखवाल ने कस्बे में कोरोना मुक्ति के साथ ही बीमारियों से गांवों को बचाने के लिए प्रयास किए है।.

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