शुक्र है रोज नहीं खोल रहे पत्ते
कोरोना ने फिर जिन्दगी के मायने बदल दिए है, नए साल के शुरूआती दिनों में ही कोरोना के घातक होने से प्रशासन से लेकर जनता की चिंता बढ़ गई है, खास कर रोज कुआं खोद कर रोज प्यास बुझाने वालों की मुसीबतें तो कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। शहर में प्रत्येक रविवार को हाट बाजार लगाकार कपड़े बेचने वाले और छुट्टी का उपयोग दो पैसे की कमाई कर करने वाले लोगों को तो फिर कोरोना ने अंधेरी राह दिखा दी है, लेकिन शहर एवं जिले में जिस प्रकार से कोरोना का विस्फोट हो रहा है और अभी लोग गंभीरता नहीं दिखा रहे है वह चिंताजनक है। जरूरी नहीं है कि जिला प्रशासन रोजाना कोरोना के सैकड़ों की तादाद के आंकड़ों का खुलासा करें, जरूरत अभी लोगों को मौजूदा हालात को समझने व प्रशासन के साथ सहयोग करने की है This is the inside story of Bhilwara
कुर्सी का कर रही इंतजार नए हॉकम ने एमजीएच का दौरा किया, यहां रोगियों से मिलें-चिकित्सा अधिकारियों से चर्चा की, अंतत उन्होंने यहां की तमाम व्यवस्थाओं को सराहा, लेकिन इसी होस्पिटल की एक महिला नर्सिग कर्मी सुनवाई नहीं होने से परेशान है, उसकी पीड़ा है कि इतने बड़े होस्पिटल में उसके लिए एक कुर्सी तक डेढ़ साल में प्रबंधन मुहैय्या नहीं करा सका। उसे अपने कक्ष में खड़े-खड़े ही काम करना पड़ रहा है, अधिकारियों तक को उसने अपनी पीड़ा बयां कर दी, लेकिन कुर्सी ही नहीं मिल सकी। कुर्सी नहीं मिलने को लेकर केम्पस में हालांकि कई चर्चा है, लेकिन कई यह भी मानते है कि है मानवीय पहलु को सर्वोपरि रखना चाहिए। This is the inside story of Bhilwara
यह कैसा शाला प्रबंधन
सरकारी स्कूलों में नवाचार एवं शिक्षा सम्बलन के लिए शिक्षा विभाग ने बड़ी-बड़ी योजना बना रखी है। शाला सम्बलन अभियान से अधिकारियों से लेकर वरिष्ठ शिक्षकों को जोड़ रखा है। लेकिन अधिकार के नाम पर सब कुछ जीरो है। निरीक्षण के दौरान खामियां पाए जाने पर भी संबंधित शाला को नोटिस देने या सुझाव देने का हक भी सिर्फ कागजी है। चर्चा है कि शाला सम्बलन अभियान के नाम पर जिले में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ रहे है, सरकारी अफसरों के बीच रहने व धाक जमाने का मौका जरूर कई वरिष्ठ शिक्षक नहीं छोड़ रहे है।
क्रिकेटरों की गुगली तबादलों के उठापठक के बीच राजनीतिक नियुक्ति की राह जल्द खुलने की उम्मीद फिर जागने से दावेदारों की जयपुर की दौड़ शुरू हो गई है। मलमास समाप्त होने की आस लगाए बैठे दावेदारों में से अधिकांश की नजर भीलवाड़ा यूआईटी चेयरमैन की कुर्सी पर टिकी है। हालांकि प्रमुख दावेदार यही कहते नजर आ रहे है कि कुर्सी से उन्हें क्या लेना देना, लेकिन चर्चा है कि यही दावेदार जयपुर की सबसे अधिक दौड़ लगा रहे हैं। यानि की जिसे मौका मिल रहा है, वह अपना पलटा मजबूत करने का मौका नहीं छोड़ रहा है। चर्चा यह जोरों पर है कि जिला क्रिकेट संघ के प्रमुख पदाधिकारी तो इस रेस में सबसे आगे है। This is the inside story of Bhilwara