मुंह दबाने के बाद लुटेरे रेखा को मकान की दीवार के पास ले गए। उन्होंने कहा कि वह तीन दिन से वारदात का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया। रेखा का कहना था कि लुटेरे तीन दिन से घर के आसपास चक्कर लगा रहे थे। सोमवार दोपहर भी कपड़े धो रही थी, तब तीन जने बाइक पर गुजरे। दो दिन पूर्व भी कुछ लोग वैन लेकर आए थे। घर से कुछ दूरी पर वैन खड़ी करके बात कर रहे थे। इससे माना जा रहा है लुटेरों ने तीन दिन की रैकी के बाद वारदात को अंजाम दिया। लुटेरों ने जींस और टी-शर्ट पहन रखी थी।
स्कू ल का जो रास्ता था, उस पर बारिश का पानी भरने से कीचड़ हो रहा था। इसलिए रेखा रास्ता बदल कर स्कूल जा रही थी। रास्ता सुनसान होने का लुटेरों ने फायदा उठाया। दोपहर में इलाके में ज्यादा आवाजाही नहीं थी।
जिस जगह वारदात हुई, उसके पास बद्रीलाल भील का मकान भी है। बद्रीलाल परिवार समेत पहुंना (राशमी) गांव रहते है। पीछे से चोरों ने सूने मकान का ताला तोड़ दिया और उसके रखी अलमारी को घर के बाहर ले आए। अलमारी की तलाशी में कुछ नहीं मिलने पर बाहर फेंककर भाग गए।