scriptमेवाड़ का छोटा पुष्कर कहलाता है त्रिवेणी संगम | Triveni Sangam is called the small Pushkar of Mewar | Patrika News

मेवाड़ का छोटा पुष्कर कहलाता है त्रिवेणी संगम

locationभीलवाड़ाPublished: Aug 03, 2021 11:04:37 am

Triveni Sangam is called the small Pushkar of Mewar बीगोद थाना क्षेत्र में कोटा रोड स्थित त्रिवेणी संगम मेवाड़ का छोटा पुष्कर व धार्मिक आस्था विश्वास का मुख्य केंद्र है। यहां प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रहती है। महाशिवरात्रि व सावन मास मेें यहां दिनभर भीड़ रहती है। यहां विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान नियमित है ।

Triveni Sangam is called the small Pushkar of Mewar.

Triveni Sangam is called the small Pushkar of Mewar.


भीलवाड़ा। बीगोद थाना क्षेत्र में कोटा रोड स्थित त्रिवेणी संगम मेवाड़ का छोटा पुष्कर व धार्मिक आस्था विश्वास का मुख्य केंद्र है। यहां प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रहती है। महाशिवरात्रि व सावन मास मेें यहां दिनभर भीड़ रहती है। यहां विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान नियमित है और जिले के साथ ही प्रदेश व देश के विभिन्न हिस्सों से भी श्रद्धालु पूजा अर्चना व दर्शन के लिए आते है। Triveni Sangam is called the small Pushkar of Mewar.

मुख्य पुजारी राम पुरी व मगन पुरी बताते है कि बनास,बेड़च व मेनाली नदियों के संगम स्थल पर करीब 1400 वर्ष पूर्व शिवलिंग प्रकट हुआ था। शिवलिंग को तट पर स्थापित करने के बाद श्रद्धालुओं का आना शुरू हुआ। अनुसार भारतवर्ष में तीन नदियों का साक्षात संगम स्थल त्रिवेणी संगम ही है। उदयपुर के महाराणा स्वरूप सिंह शिव मंदिर के लिए वर्ष भर तक की पूजन साम्रगी का जिम्मा उठाते थे। अब पुरी समाज के पुजारी प्रतिदिन सुबह व शाम पूजा एवं आरती की जिम्मेदारी उठा रहे है।
यहां संगम तट पर कई समाज के मंदिर है। जिसमे मुख्य शिव मंदिर, श्याम मन्दिर, प्रजापति मन्दिर इत्यादि सहित समाजों की धर्मशालाएं भी बनी हुई है। प्रतिवर्ष यहां महाशिवरात्रि एवं कार्तिक पूर्णिमा पर मेले लगते है,जिसमे हजारों की संख्या में दूर दराज से श्रद्धालु आते है। अमावस्या व पूर्णिमा पर अतिप्राचीन शिवलिंग की विशेष पूजा की जाती है। द्वादशी शिवलिंग का भी मन्दिर बना हुआ है जो आकर्षक का केंद्र है। प्राचीन शिव मंदिर का नवनिर्माण धाकड़ समाज द्वारा करवाया जा रहा है। सावन माह में श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहती है। दूर दराज से श्रद्धालु हवन, अभिषेक करने पहुंचते है।
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