script15 हजार करोड़ का टर्नओवर फिर भी जूझ रहा टेक्सटाइल उद्योग | Turnover 15 thousand million battling for textile industry in bhilwara | Patrika News

15 हजार करोड़ का टर्नओवर फिर भी जूझ रहा टेक्सटाइल उद्योग

locationभीलवाड़ाPublished: Jul 14, 2019 11:54:51 am

Submitted by:

Suresh Jain

60 हजार को मिल रहा है रोजगार8 करोड़ मीटर प्रतिमाह कपड़े का उत्पादन

Textile industry

Textile industry

भीलवाड़ा।
करीब १५ हजार करोड़ से अधिक टर्नओवर के बावजूद भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग मुश्किल दौर से गुजर रहा है।
भीलवाड़ा में आठ करोड़ मीटर कपड़े का प्रतिमाह का उत्पादन हो रहा है। इसमें डेढ़ करोड मीटर डेनिम भी शामिल है। प्रत्यक्ष रूप से 60 हजार से अधिक लोगों को रोजगार देने के बाद भी कई समस्याओं से जूझ रहा है। सरकार की ओर से मदद मिले तो भीलवाड़ा डेनिम उत्पादन में अहमदाबाद से भी आगे निकल सकता है, लेकिन स्वीकृति नहीं मिलने से उद्यमी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
उद्यमियों को कहना है कि डेनिम उद्योग में अपार संभावनाए है, लेकिन पानी की समस्या को दूर करना आवश्यक है। इस क्षेत्र में टेक्नीकल अपग्रेडेशन के कारण पानी की मात्रा काफी कम उपयोग में होती है। भूगर्भ जल विभाग की शर्तों के चलते स्वीकृति नहीं मिल रही है। जीएसटी की दर समान नहीं होने से भी उद्यमियों को परेशानी हो रही है। इसके कारण आइटीसी रिफंड में भी परेशानी आ रही है। कपड़े पर ५ प्रतिशत तथा यार्न पर १२ प्रतिशत जीएसटी होने से रिफंड के लिए आवेदन करने पड़ रहे हैं, लेकिन रिफंड नहीं हो रहा है। यार्न पर जीएसटी ५ प्रतिशत कर दी जाए, तो रिफंड की समस्या भी समाप्त हो सकती है।
विद्युत दरें अन्य राज्यों से अधिक
टेक्सटाइल उद्योग को अन्य राज्यों से २ से ३ रुपए प्रति यूनिट बिजली मंहगी मिल रही है। इसके चलते भीलवाड़ा के उद्यमी अन्य राज्यों से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं। राज्य सरकार ने हाल ही केप्टिव पावर प्लान्ट पर विद्युत कर ४० पैसे से बढ़ाकर एक रुपया कर दिया है। इससे भीलवाड़ा पर ५५ करोड़ रुपए का भार पड़ेगा।
उद्यमियों की मांग
रीको की ओर से भूमि उपलब्धता, रिप्स के बकाया भुगतान। चम्बल पेयजल योजना से रीको ग्रोथ सेन्टर से उद्यमियों को पीने का पानी। आग की घटनाओं से उद्योगों में करोड़ो का नुकसान हुआ, लेकिन ग्रोथ सेन्टर में आग बुझाने के संसाधन नहीं हैं। रीको की ओर से ग्रोथ सेन्टर में 2 रुपए प्रतिवर्गमीटर की दर से विकास शुल्क वसूला जा रहा है, फिर भी अग्निशमन केन्द्र की व्यवस्थाएं ठीक नहीं हैं। नगर परिषद अन्य औद्योगिक इकाइयों की दमकलें आवश्यकता पडऩे पर सहायता नहीं कर पाती हैं।
सरकार व कलक्टर को लिखा पत्र
टेक्सटाइल उद्योग के सामने कई समस्याएं हैं। इनके समाधान के लिए उद्योग मंत्री व जिला कलक्टर को पत्र लिखा है।
जेके बागड़ोदिया, अध्यक्ष, मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
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