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कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस से दो की मौत!

locationभीलवाड़ाPublished: May 16, 2021 09:34:07 am

Submitted by:

Suresh Jain

आठ से अधिक को किया जयपुर रेफर

कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस से दो की मौत!

कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस से दो की मौत!

भीलवाड़ा।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर खतरनाक साबित हो रही है। लोग म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे है। जिले में अब तक दो जनों की मौत हो चुकी है, लेकिन इसकी किसी ने पुष्टी नहीं है। आठ लोगों को जयपुर रेफर किया गया है। एमजीएच प्रशासन ने एक डॉक्टरों की टीम बनाई है।
ब्लैक फंगस ने कोरोना संक्रमितों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और जिन्हें डायबिटीज है। ऐसे लोगों के फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर असर डाल रहा है। यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इससे प्रभावित निजी अस्पतालों में भर्ती दो जनों की मौत हो चुकी है। लेकिन इसे कोरोना माना है। मेडिकल कॉलेज के नाक, कान, गला विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर जयराज वैष्णव ने बताया कि ब्लैक फंगस के मरीज आ रहे है। एक का निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
ब्लैक फंगस कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों में देखा गया है। यह डायबीटिज के मरीजों को अपना शिकार बना रहा है। इसके मुख्य लक्षण नाक बहना, सांस लेने की तकलीफ, नाक से खून या काले रंग के तरल पदार्थ का आना। कई मरीजों में नाक के आस-पास काले धब्बे भी देखे गए हैं। रोगी में सिर दर्द की शिकायत। चेहरे का एक तरफ से सूजना। आंखों का लाला होना और सूजन आना। धुंधला दिखना और रोशनी कम हो जाना। आईसीयू में लंबे समय तक रहना, मैलिग्नेंसी और वोरिकोनाजोल थेरेपी इस रोग का प्रमुख लक्षण है।
डायबिटीज मरीजों को ज्यादा खतरा
डिप्टी सीएमएचओ का कहना है कि डायबिटीज के मरीजों में प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इससे यह बीमारी फैलने का खतरा अधिक होता है। इससे खांसना, सांस लेने में कठिनाई, खूनी उल्टी, बदली मानसिक स्थिति। यह फंसग इंफेक्शन है, जो नाक और आंख से होता हुआ ब्रेन तक पहुंच जाता है और मरीज की मौत हो जाती है।
यह है उपाय
कोरोना के मरीज को ठीक होने के बाद भी खून में शुगर की निगरानी करना। स्टेरॉयड का सही एवं संयमित इस्तेमाल। साफ और संक्रमणमुक्त पानी का इस्तेमाल।
यहां जांच है न सुविधा
ब्लैक फंगस की पहचान के लिए भीलवाड़ा में जांच है न ही उपचार की सुविधा है। इसके लिए एंटी फंगल इंजेक्शन दिया जाता है। जिसकी कीमत एक की सात हजार रुपए है। निजी अस्पताल में प्रभू नामक व्यक्ति भर्ती है। उसे एम्फोटेरिसिन बी के ६ इंजेक्शन लग चुके है। १७ इंजेक्शन बाहर से मंगवाए गए है। जांच के लिए वाईएफसी लेनी पड़ती है। नाक व सीर की एमआरआई करवानी होती है। जो गंभीर संक्रमित की जांच संभव नहीं है, क्योंकि ऑक्सीजन को हटाया नहीं जा सकता।
इन्होने मांगी मदद
आगूचा की एक महिला को जांच के बाद ब्लैक फंगस का खुलासा हुआ है, लेकिन उसे भर्ती नहीं किया गया है। महिला माधुरी उज्जैनिया ने उपचार के लिए जिला कलक्टर कार्यालय के भी चक्कर काट चुकी है तथा मुख्यमंत्री से उपचार की गुहार की है। महिला ने बताया कि एक मई को कोरोना होने पर अस्पताल में भर्ती किया। ५ दिन बाद ही सीर दर्द होने लगा। जांच में कोरोना निगेटिव आने पर उसे घर भेज दिया। लेकिन सीर दर्द ठीक नहीं हुआ। इसी प्रकार शंकरलाल कोली के ब्लैक फंगस की पुष्टी जयराज वैष्णव ने की है। हरिप्रकाश पारीक जो अरिहन्त में भर्ती है ने एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की मांग की है।
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डाक्टरों की बनाई कमेटी
ब्लैक फंगस के कुछ मरीज सामने आए है। इसे लेकर डाक्टरों की अलग से टीम बनाई गई है। ताकि मरीज को तुरन्त उपचार मिल सके।
डॉ. अरुण गौड़, अधीक्षक एमजीएच
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