कोरोना वायरस से मचे हाहाकार के बीच शनिवार को दूसरे दिन भी शहर के लिए राहत भरी खबर आई। अब तक के पॉजिटिव मरीजों में से दो की हालत में सुधार हुआ है। बृजेश बांगड़ मेमोरियल हॉस्पिटल के दो कर्मचारियों को वायरस मुक्त होने पर घर भेज दिया गया। इन दोनो रोगियों को जब जिला कलक्टर राजेन्द्र भट्ट ने गुलाब का फूल दिया तो उनके चेहरे खिल उठे। हालांकि अभी इन्हें 14 दिन तक एहतियातन होम आइसोलेशन में ही रहना होगा। दोनो को महात्मा गांधी चिकित्सालय के अधीक्षक डा. अरूण गौैड़ ने एम्बुलेंस में बिठाकर घर रवाना किया। आइसोलेशन वार्ड में भर्ती सभी पॉजिटिव मरीजों का इलाज जयपुर के एसएमएस अस्पताल की सफल हो रही गाइडलाइन के अनुसार किया जा रहा है। मरीजों को हाइड्रॉक्सीए क्लोरोक्कीन व एजिथ्रोमाइसिन की डोज दी जा रही है।
रैण्डम सैम्पल लिए जा रहे
इस दौरान जिला कलक्टर राजेन्द्र भट्ट ने कहा कि जिले भर में रैण्डम सर्वे कर सेंम्पल लिए जा रहे है। ताकि यह जाना जा सके कि कम्प्युनि़टी में स्प्रेट तो नहीं हो गया। हर सीएससी स्तर पर 20-20 सैम्पल रोजाना मंगवाए जा रहे है। पहले सर्वे में 2745 लोग खांसी जुकान से ग्रसित थे। तीसरे सर्वे में 142 लोग सामने आए है। उन सभी के टेस्ट भेज दिए जाएंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान सभी को रखाना होगा। कोरोना के और भी मामले आएंगे उससे घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हमारी डाक्टरों की टीम उसे ठीक कर देगी। दो दिन में 11 जनों को घर भेजा है।
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मन में डर था, लेकिन कोरोना के लक्षण भी नहीं थे
बांगड़ अस्पताल की मैनेजर प्रीयंका पाराशर का कहना है जब अस्पताल से घर आई तो मन में कुछ डर था। लेकिन कोरोना के कोई लक्षण भी नहीं थे। मेरे कलिग इस वायरस से संक्रमित थे, कहीं मुझे भी तो नहीं है। हालांकि ऐसा कोई लक्षण नजर नहीं आ रहा था। फिर भी महात्मा गांधी अस्पताल आई। सेम्पल लिया तो पहला टेस्ट नेगेटिव आया लेकिन दूसरा पॉजिटिव आया। पाराशर ने कहा कि कोई यह सौच कर घर बैठा है कि न तो बांगड़ अस्पातल गए औैर ना ही कोई विदेश से आया है। तो हम इंफेक्टेट नहीं हो सकते। इसलिए जो लोग घर बैठे है। यह सौच कर उन्हें कोई परेशानी नहीं है तो यह गलत है। क्योंकि मुझे ऐसे कोई लक्षण नजर नहीं आए। कोरोना सुन बहुत बड़ा शौक लगा। डर था वही डर लेकर अस्पताल लेकर आया। डर यह था कि मेरी वजह से मेरा परिवार व बच्चे परेशान न हो।
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डर लग रहा था कि अब मेरा क्या होगा
कोदूकोटा निवासी व बांगड़ के नर्सिग कर्मचारी बद्रीशंकर तिवाड़ी ने बताया कि मुझे हल्की खांसी व जुकाम था। 21 मार्च को अस्पताल में सेम्पल लिया। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। आईसोलेशन वार्ड में भर्ती रहा। डाक्टरों ने अच्छा सहयोग करते हुए उपचार किया। कोरोना वायरस से बचाव करे। इसके लिए सरकार की गाइड लाइन का पूरा ध्यान रखे। आइसोलेशन वार्ड भर्ती हुआ तो डर लग रहा था कि अब मेरा क्या होगा। लेकिन स्टाफ के सभी सदस्यों ने सहयोग किया। हर जगह मौत की सुनकर परिवार के लोगों में डर था कि बद्री का क्या होगा। घर वाले को अस्पताल से ही दिलासा देता रहा कि जल्द ही घर आऊगा। आज में भी घर जा रहा हूं परिवार के सभी सदस्य भी घर चले गए है।
रैण्डम सैम्पल लिए जा रहे
इस दौरान जिला कलक्टर राजेन्द्र भट्ट ने कहा कि जिले भर में रैण्डम सर्वे कर सेंम्पल लिए जा रहे है। ताकि यह जाना जा सके कि कम्प्युनि़टी में स्प्रेट तो नहीं हो गया। हर सीएससी स्तर पर 20-20 सैम्पल रोजाना मंगवाए जा रहे है। पहले सर्वे में 2745 लोग खांसी जुकान से ग्रसित थे। तीसरे सर्वे में 142 लोग सामने आए है। उन सभी के टेस्ट भेज दिए जाएंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान सभी को रखाना होगा। कोरोना के और भी मामले आएंगे उससे घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हमारी डाक्टरों की टीम उसे ठीक कर देगी। दो दिन में 11 जनों को घर भेजा है।
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मन में डर था, लेकिन कोरोना के लक्षण भी नहीं थे
बांगड़ अस्पताल की मैनेजर प्रीयंका पाराशर का कहना है जब अस्पताल से घर आई तो मन में कुछ डर था। लेकिन कोरोना के कोई लक्षण भी नहीं थे। मेरे कलिग इस वायरस से संक्रमित थे, कहीं मुझे भी तो नहीं है। हालांकि ऐसा कोई लक्षण नजर नहीं आ रहा था। फिर भी महात्मा गांधी अस्पताल आई। सेम्पल लिया तो पहला टेस्ट नेगेटिव आया लेकिन दूसरा पॉजिटिव आया। पाराशर ने कहा कि कोई यह सौच कर घर बैठा है कि न तो बांगड़ अस्पातल गए औैर ना ही कोई विदेश से आया है। तो हम इंफेक्टेट नहीं हो सकते। इसलिए जो लोग घर बैठे है। यह सौच कर उन्हें कोई परेशानी नहीं है तो यह गलत है। क्योंकि मुझे ऐसे कोई लक्षण नजर नहीं आए। कोरोना सुन बहुत बड़ा शौक लगा। डर था वही डर लेकर अस्पताल लेकर आया। डर यह था कि मेरी वजह से मेरा परिवार व बच्चे परेशान न हो।
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डर लग रहा था कि अब मेरा क्या होगा
कोदूकोटा निवासी व बांगड़ के नर्सिग कर्मचारी बद्रीशंकर तिवाड़ी ने बताया कि मुझे हल्की खांसी व जुकाम था। 21 मार्च को अस्पताल में सेम्पल लिया। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। आईसोलेशन वार्ड में भर्ती रहा। डाक्टरों ने अच्छा सहयोग करते हुए उपचार किया। कोरोना वायरस से बचाव करे। इसके लिए सरकार की गाइड लाइन का पूरा ध्यान रखे। आइसोलेशन वार्ड भर्ती हुआ तो डर लग रहा था कि अब मेरा क्या होगा। लेकिन स्टाफ के सभी सदस्यों ने सहयोग किया। हर जगह मौत की सुनकर परिवार के लोगों में डर था कि बद्री का क्या होगा। घर वाले को अस्पताल से ही दिलासा देता रहा कि जल्द ही घर आऊगा। आज में भी घर जा रहा हूं परिवार के सभी सदस्य भी घर चले गए है।