भीलवाड़ाPublished: Aug 08, 2023 12:38:33 pm
Suresh Chandra
मानसून में ग्रामीण ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्र के कई सरकारी विद्यालय बेहाल रहते हैं। स्कूलों की छतें टपकती है। एक ही कमरे में दो-तीन कक्षा लगाई जाती है। जिले में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां रास्ते में कीचड़ के चलते बच्चों को पहुंचने में भी दिक्कत आती है।
भीलवाड़ा. मानसून में ग्रामीण ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्र के कई सरकारी विद्यालय बेहाल रहते हैं। स्कूलों की छतें टपकती है। एक ही कमरे में दो-तीन कक्षा लगाई जाती है। जिले में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां रास्ते में कीचड़ के चलते बच्चों को पहुंचने में भी दिक्कत आती है।
भीलवाड़ा शहर में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, दादाबाड़ी में पहली से आठवीं तक 62 विद्यार्थी हैं। गत सत्र में 70 विद्यार्थी थे। स्कूल में महज एक शिक्षक है। भवन इतना जर्जर है कि सात में से चार कमरों पर ताले हैं क्योंकि ये बच्चों को बैठाने लायक नहीं रहे। तीन कमरों में सभी कक्षाएं चलती है लेकिन ये भी बरसात में टपकते हैं। बारिश के दिनों में बच्चों के बैठने के लिए भी जगह नहीं है। प्रधानाध्यापिका सुमित्रा पारीक ने बताया कि स्कूल भवन के सभी कमरे, बरामदे, चारदीवारी और शौचालय जर्जर हैं। मरम्मत का प्रस्ताव भेजा है। दो-तीन साल से प्रक्रिया चल रही है। जर्जर भवन व स्टाफ की कमी से नामांकन घट गया।