मौजूदा योजना क्षेत्र के लिए ८७३८ बीघा भूमि अवाप्त करना तय है, इसमें तालाब नदी नाले में १३७०, गोचर में ११९२, सरकारी कार्यालय के लिए ९२९ बीघा, नगर परिषद भूमि २९५, बिलानामा २९५, खातेदारी ३२४८, ९० ए २०० तथा न्यास के लिए १२०९ बीघा भूमि चिंहित है। क्षेत्र को २०० रुपए प्रति स्कवायर फीट की दर से विकसित करने से कुल खर्चा ४७५८ करोड़ रुपए आएगा।३५०४ करोड़ का खर्च होगा कम न्यास ने मौजूदा प्रारूप का खारिज करते हुए नया प्रस्ताव सरकार को भिजवाया है, इसमें स्पष्ट बताया कि योजना क्षेत्र में कुल उपयोगी जमीन ४६५७ बीघा है। इसमें भी कुल ५० फीसदी ही विकसित जमीन यानि २३२८ बीघा है। यदि क्षेत्र के विकास पर विभिन्न स्रोतो से राशि खर्च होती है तो यह कुल राशि १२५४ करोड़ की ही होती है। पुराने प्रारूप की तुलना में यह राशि ३५०४ करोड़ रुपए कम है।
राज्य सरकार को भेजे प्रस्ताव में बताया गया कि योजना क्षेत्र में उपलब्ध समस्त भूमि की एक साथ प्लानिंग की जा कर भू-उपयोग निर्धारित कर खातेदारी भूमि की योजना को एकीकृत प्लान अनुसार ९० की जाएगी, जिससे योजना क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं होगा। वही ३२४८ बीघा खातेदारी भूमि के ९० ए से तथा न्यास को ५१९.६८ तथा न्यास की भूमि आवंटन से ५६७ करोड़ की आय होगी। यानि कुल कमाई की आय ११०० करोड़ रुपए की होगी। दूसरी तरफ समूची परियोजना क्षेत्र पर विकास का खर्चा ४७५८ रुपए के बजाए १२५४ करोड़ का ही रहेगा।
तत्कालीन नगर विकास न्यास अध्यक्ष रामपाल शर्मा ने 2013 में सरकार से बहुउद्दशीय परियोजना की मंजूरी ली थी। तत्कालीन मुख्य अशोक गहलोत ने सितम्बर 2013 में योजना का शिलान्यास किया था, लेकिन सत्ता बदलने से योजना ठंडे बस्ते में चली गई। भाजपा शासन में पूर्व नगर विकास न्यास अध्यक्ष गोपाल खण्डेलवाल ने कोशिश की। इस परियोजना पर 15 जुलाई 2017 को सैद्धांतिक मंजूरी भी मिल गई, लेकिन पार्र्टी के ही विधायक विट्टलशंकर अवस्थी के विरोध में आने से योजना पर काम फिर अटक गया। अवस्थी का आरोप है कि योजना के प्रारूप से बड़ी कंपनियों व भू माफियाओं को ही अधिक फायदा होगा।
प्रदेश में वर्ष २०१८ में कांगे्रस फिर से सत्ता में आई तो बहुउद्दशीय परियोजना पर वापस काम शुरू हो गया, लेकिन योजना क्षेत्र के काम को लेकर कांग्रेस में भी धड़े उभर आए। हालांकि योजना क्षेत्र में कार्य शुरू हो इसके लिए जिला प्रशासन ने मशक्कत शुरू कर दी है।
बहुउद्देश्यीय योजना के मौजूदा प्रारूप में कई विसंगतियां है। इसे प्रारूप के बजाए नया प्रारूप लागू करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवाया है, नए प्रस्ताव में योजना के लागू होने से पडऩे वाले वित्तीय प्रभावों की भी स्पष्ट की गई है।
नितेन्द्रपाल सिंह, सचिव, नगर विकास न्यास
बहुउद्देश्यीय योजना ऐसी हो, जिससे शहर का विकास हो और न्यास की स्थिति मजबूत हो, सरकार को कलक्टर व पुलिस अधीक्षक कार्यालय समेत प्रमुख विभागों को मिनी सचिवालय से मुक्त रखना चाहिए, इसमें किसी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए
विट्टलशंकर अवस्थी, भाजपा विधायक भीलवाड़ा
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प्रस्तावित योजना क्षेत्र
योजना के तहत पालड़ी, सांगानेर, तेलीखेड़ा, गोविन्दपुरा व आकोला का पुरावत ग्राम पंचायत क्षेत्र के एक दर्जन गांवों की 8७३८ बीघा भूमि अधिग्रहित होनी है। बहुद्देश्यीय योजना क्षेत्र में मुख्य रूप से मिनी सचिवालय की स्थापना है। मिनी सचिवालय में कलक्टर व पुलिस अधीक्षक कार्यालय समेत 21 प्रमुख सरकारी भवन, आरएसी बटालियन, कृषि उपज मंडी समिति, जिला कारागार, केन्द्रीय विद्यालय भवन, पर्यटक हाउस, सर्किट हाउस, होटल, क्लब, न्याय भवन समेत विभिन्न सरकारी भवनों को एक ही परिसर में निर्माण का प्रस्ताव है।