वस्त्रनगरी ने भरी ’80 करोड़ मीटर ऑर्डर की लंबी उड़ान
भीलवाड़ाPublished: Oct 21, 2021 08:44:33 am
उद्यमियों को मिला स्कूल ड्रेस का इतना बड़ा आर्डर कि पूरा करना भी बना चुनौती
वस्त्रनगरी ने भरी ’80 करोड़ मीटर ऑर्डर की लंबी उड़ान
भीलवाड़ा।
प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में भी स्कूल खुल जाने से अब भीलवाड़ा के उद्यमियों को स्कू ल ड्रेस बनाने से ही फु र्सत नहीं मिल पा रही है। लगभग हर उद्यमी के पास लाखों मीटर स्कूल डे्रस का कपड़ा बनाने का आर्डर है। इसके चलते हर वीविंग उद्योग के पास २४ घंटे भी कपड़ा बनाने के लिए कम पड़ रहे हैं। उद्यमियों की मानें तो पिछले कुछ समय से भीलवाड़ा के उद्यमियों को करीब ८० करोड़ मीटर का आर्डर मिला हुआ है। जबकि भीलवाड़ा में एक माह में लगभग ७ से ८ करोड़ मीटर कपड़ा उत्पादन की ही क्षमता है। ऐसे में समय पर ऑर्डर पूरा करने की जबरदस्त चुनौती वीविंग उद्योग के सामने आ खड़ी हुई है।
पिछले दो साल से स्कूल बंद होने से कपड़ा उद्यमियों के सामने पुराना स्टॉक निकालना भी मुश्किल हो रहा था। लेकिन अब अधिकांश राज्यों की सरकारों ने सभी स्कूल व कॉलेज खोल दिए हैं। राजस्थान में कोरोना लगभग समाप्ति की ओर है। वहीं स्कूल ड्रेसों में मोटी कमाई करने वाले स्कूल ड्रेस विक्रेताओं को भी अब काम मिलने लगा है। सर्दी के मौसम की शुरुआत होने से भी कपड़ा विक्रेताओं का अच्छा सीजन चल निकला है।
स्टॉक पड़ा होने से मिला फायदा
उद्यमियों की मानें तो भीलवाड़ा के कपड़ा उद्यमियों के पास स्कूल ड्रेस का करोड़ों मीटर कपड़ा पिछले दो साल से स्टॉक में पड़ा था। यार्न, विविंग व प्रोसेस की दरें बढऩे के बाद भी पुराने स्टॉक में कपड़े की दरें ३ से ५ मीटर तक बढ़ाकर बाजार में बेचने में लगे हैं। मांग इतनी है कि कुछ उद्यमियों के पास से तो पुराना स्टॉक तक समाप्त हो गया है।
स्कूल ड्रेस बाजार में तेजी
स्कूल खुलने के साथ ही कपड़े की मांग तेजी से बढ़ी है। स्थिति यह है कि मांग के अनुसार आपूर्ति करना भी मुश्किल हो रहा है। पुराना स्टॉक भी निकल चुका है। आगे भी स्कूल ड्रेस का सीजन अच्छा चलने की उम्मीद है। त्यौहारी सीजन के साथ ही छोटे बच्चों के स्कूल पूरे देश में खुलने के साथ ही और तेजी आएगी। कपड़ा व्यापारियों के पास जो स्टॉक था वह निकलने से ब्याज की मार नहीं पड़ी है। इससे उद्यमियों को बड़ी राहत मिली है। अभी स्कूल ड्रेस की मांग ६ से ७ करोड़ मीटर प्रतिमाह की आ रही है। कुछ राज्यों में स्कूल ड्रेस बदलने से उनकी मांग भी शुरू हो गई है। अगले एक साल तक स्कूल ड्रेस का सीजन है।
गोपाल झंवर, आदर्श सिन्थेटिक्स प्रा. लिमिटेड
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चारों तरफ तेजी
वीविंग, प्रोसेस, यार्न समेत हर तरफ तेजी है। कपड़े की मांग बढऩे के साथ इनकी दरें भी १२ से १५ रुपए मीटर तक महंगी हो गई हैं। सरकारी स्कूलों की ड्रेस की मांग बनी हुई है। देश में जहां भी स्कू ल खुल गए हैं, वहा से अब मांग आने लगी है। अगले छह माह तक स्कूल ड्रेस की मांग बनी रहेगी। साउथ से कम मांग आ रही है। लेकिन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश से ज्यादा मांग आ रही है। कपड़े की पूछ-परख होने लगी है। हर वस्तु की दरे बढऩे से भी कपडा महंगा हो गया है। मांग इतनी है कि उसकी आपूर्ति करना भी संभव नहीं लग रहा है। कोरोना की तीसरी लहर की संभावना अब कम नजर आने से भी तेजी बनी हुई है।
नवनीत बजाज, बजाज सूटिंग प्रा. लिमिटेड
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पुराने स्टॉक का उठाव
कच्चे माल के साथ अन्य कई तरह के उत्पाद की दरें बढऩे से कपड़ा महंगा हो गया है। बाजार में तेजी तो है, लेकिन पहले पुराना स्टॉक निकालने में लगे हैं। हर व्यापारी बाजार स्थिर होने की सोच रहा है, लेकिन आगे स्क ल ड्रेस का सीजन है। साथ ही त्योहारी सीजन भी चल रहा है। आने वाला समय कपड़ा उद्योग के लिए अच्छा है।
एसएल श्रीमाल, सिद्धार्थ एजेन्सीज