वस्त्रनगरी में जरूरतमंद लोगों को अपने आशियाने का सपना पूरा करने के लिए राजस्थान आवासन मंडल ने ग्यारह ऑवासीय कॉलोनियां आबाद की हैं, लेकिन गत एक दशक में बसाई सुवाणा स्थित प्रियदर्शनी नगर व पटेलनगर विस्तार आवासीय योजना के हालात ठीक नहीं हैं। मंडल ने यहां करीब सौ करोड़ रुपए खर्च कर तीनों श्रेणियों में आवास बनाए। इनके लॉटरी से आवंटन भी हुए, लेकिन यहां मूलभूत सुविधाएं व सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलने से आवंटियों ने दोनों कॉलोनियों से मुंह ही फेर लिया है। सुवाणा में तो २५ फीसदी आवंटियों ने अपना बसेरा बनाया है, जबकि पटेलनगर में मध्यम व उच्च श्रेणी के अधिकांश आवास आवंटन के बावजूद खाली पड़े हैं।
जिले में आवासन मण्डल ने सबसे बड़ी आवासीय कॉलोनी बसाने का सपना साकार करने के लिए वर्ष 2012 में जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर सुवाणा में करीब दो सौ बीघा क्षेत्र में प्रियदर्शनी नगर आवासीय योजना की नींव रखी। यहां 15 अक्टूबर 2015 को लॉटरी के जरिए मंडल ने सात सौ आवास आवंटित किए और इसके दो वर्ष बाद 172 आवास और आवंटित किए। यहां कुल 872 आवासों का आवंटन हुआ है।
प्रियदर्शनी नगर में आवासन मंडल ने आवंटियों को बसाने के लिए सड़क, बिजली, पानी, नाली समेत अन्य सुविधाओं पर लाखों रुपए बहा दिये, इसके बावजूद लोग यहां आवंटित मकानों में बसने नहीं आ सके। इनमें से कईयों ने आवंटित आवास के कब्जे ही नहीं लिए। कुछ ने कब्जे लिए तो प्रथम किस्त ही जमा नहीं कराई। मौजूदा स्थिति ये है कि यहां ८७२ आवास में से ५६४ आवासों का आवंटन कब्जा नहीं लेने, डिमांड राशि नहीं जमा कराने तथा पूरी राशि जमा नहीं कराने से वर्ष २०१९ में निरस्त हो गए। इसके बाद मंडल ने फिर प्रयास किए। इसके बावजूद दस नवम्बर २०२१ तक यहां ३१८ आवासों का आंवटन नए सिरे से होना शेष है।
सूनी कॉलोनी में टूट रहे ताले
प्रियदर्शनी नगरी में दस वर्ष के दौरान आवासों के ताले तोड़ कर गैस सिलेण्डर, बाइक, पलंग, बिस्तर, सेनेटरी उपकरण, खिड़की, फर्श उखाड़ कर ले जाने के ५० से अधिक मुकदमें सदर थाने में दर्ज हो चुके हैं।
पटेलनगर विस्तार में पसरता जंगल
कॉलोनी के हाल यह है कि उच्च आय एवं मध्य आय वर्ग श्रेणी के आवास आवंटित होने के बावजूद यहां ताले लटकें है। आवासों में कंटीले पेड़ उग आए हैं। कई आवासों से चोर दरवाजे, खिड़की व फर्श तक तोड़ कर ले जा चुके हैं। कई सूने आवास तो नशेडिय़ों व अपराधियों के ठिकानें बने हुए हैं। यहां सुविधाओं का अभाव होने से लोग बसने से कतरा रहे हैं।