scriptक्यूं बिगड़ गई भीलवाड़ा यूआईटी की चाल, जानिए सच | Why Bhilwara UIT's move deteriorated, know the truth | Patrika News

क्यूं बिगड़ गई भीलवाड़ा यूआईटी की चाल, जानिए सच

locationभीलवाड़ाPublished: Jan 22, 2021 02:06:24 pm

तीन आला अधिकारियों के घूस लेते धरे जाने की घटना के डेढ़ माह बीत जाने के बावजूद नगर विकास न्यास के हालात नहीं सुधर सकें है, तीन अभियंताओं के पद रिक्त होने के बाद सचिव के तबादले से यहां के काम काज की गाड़ी भी पटरी से उतर गई है। न्यास की बड़ी परियोजनाओं व नगर नियोजन की चाल भी बिगड़ी हुई है।

Why Bhilwara UIT's move deteriorated, know the truth

Why Bhilwara UIT’s move deteriorated, know the truth


भीलवाड़ा। तीन आला अधिकारियों के घूस लेते धरे जाने की घटना के डेढ़ माह बीत जाने के बावजूद नगर विकास न्यास के हालात नहीं सुधर सकें है, तीन अभियंताओं के पद रिक्त होने के बाद सचिव के तबादले से यहां के काम काज की गाड़ी भी पटरी से उतर गई है। न्यास की बड़ी परियोजनाओं व नगर नियोजन की चाल भी बिगड़ी हुई है।
अधीक्षण अभियंता रामेश्वर लाल शर्मा तथा अधिशासी अभियंता सतीश शारदा व ब्रह्मालाल शर्मा के ३ दिसम्बर २०२० को एक लाख रुपए की घूस लेने के आरोप में हुई गिरफ्तारी के बाद से नगर विकास न्यास की हालत ठीक नहीं है। हालांकि तीनों अभियंताओं को कोर्ट ने जमानत दे दी है, लेकिन अब पुराने घपलों के दबे मामले व भुगतानों में हुई अनियमितता के मामलों को उजागर करने के लिए फाइलों पर हो रही दबाव की राजनीति ने यहां के माहौल को और बिगाड़ दिया है। घूस के आरोप में फंसाने की धमकी भी अब कुछेक खुले आम अभियंताओं को देते हुए अपना सिक्का चलाने की कोशिश में लगे है। निर्माण व तकनीकी से संबधित कई फाइलों के भी इधर उधर होने की चर्चा है।
एसीबी का साया

टोंक, चित्तौडग़ढ़, जयपुर ग्रामीण के साथ ही भीलवाड़ा की एसीबी टीम का साया भी अभी तक न्यास परिसर में मण्डराया हुआ है। शिकायतों के आधार पर निर्माण कार्यों व भुगतानों की फाइलें भी एसीबी लगातार तलब कर रही है। तीन दिसम्बर को लेकर हुई कार्रवाई से जुड़े निर्माण कार्यों के सत्यापन भी अब एसीबी करवा रही है। इधर, जमानत पर छूटे अभियंताओं की तरफ से भी एबीसी में शिकायतें दर्ज हुई है। शिकायतों पर अब एसीबी ने जांच पड़ताल भी शुरू कर दी है।
अभी भी लॉक डाउन के हालात

नगर विकास न्यास में तीन अभियंतों के राज्य सरकार द्वारा निलंबित किए जाने के बाद न्यास सचिव संजय शर्मा के तबादले ने राजकाज की गति बिगाड़ दी है। एक पखवाड़े से न्यास के हालात कोरोना लॉक डाउन की भांति बने हुए है। न्यास की विशेषाधिकारी रजनी माघीवाल को न्यास सचिव की जिम्मेदारी दी हुई है, लेकिन अधिकार के अभाव में वो भी चुप्पी साधे है। अभियंताओं का भी कामकाज में मन नहीं लग रहा है। अधिकांश सीटें पर नहीं मिलते है।
कर्मियों में खिंचमतान

तीन अभियंताओं के निलबंन के बाद न्यास की प्रशासनिक व तकनीकी कामकाज की व्यवस्था बदली गई, लेकिन यह व्यवस्था असरकारक साबित नहीं हुई है। शाखाओं में भी मनचाहा पद नहीं मिलने से कार्मियों में खिचंमतान बढ़ती जा रही है।
अटक गया हर काम

न्यास में भूमि रूपांतरण, नियमन समेत राजस्व आय देने वाले कार्यों में शिथिलता आ गई है। न्यास की प्रमुख आवासीय योजनाओं की फाइल अधर में है, ओवरब्रिज के कार्य भी ठंडे है। न्यास के सम्पूर्ण शाखाओं के डिजीटलकरण का कार्य भी नेतृत्व के अभाव में मंद पड़ गया है। विभिन्न समस्याओं के समाधान व विभिन्न कार्यों के लिए पहुंचने वाले लोगों की पीड़ा सुनने वाला अब कोई न्यास में जिम्मेदार नहीं है।
आचार संहिता का बहाना

हालांकि न्यास प्रशासक के रूप मेंं जिला कलक्टर शिव प्रसाद नकाते के पास उनके समाधान की चाबी है, लेकिन नकाते खुद चुनाव में व्यस्त है। नकाते कहते है कि लोगों की समस्या के समाधान के लिए कलक्ट्रेट की राह खुली है, न्यास में भी जिम्मेदार अधिकारी है। दूसरी तरफ न्यास में अधिकारी व कर्मचार नगरीय निकाय चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने की बात कहते हुए किसी भी प्रकार के जनहित के कार्य करने से कतरा रहे है

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