भीलवाड़ा

अक्षरों की दुनियां में क्यूं जीना चाहते है चेतन भगत, जानिए

देश के प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं चिंतक चेतन भगत Chetan Bhagat अपने उपन्यास के शीर्षक में सबसे पहले अंक होने को बेक ग्राउण्ड-ट्रेड मार्क मानते है। वो मानते है कि अकसर लोग अक्षरों की दुनियां में कम आते है और मैं आया हूं और भूलना भी नहीं चाहता हूं, आंकड़े मेरे लिए अभी भी महत्वपूर्ण है। Chetan Bhagat in bhilwara

भीलवाड़ाJan 11, 2020 / 12:53 pm

Narendra Kumar Verma

Why does Chetan Bhagat want to live in the world of letters, know

भीलवाड़ा। देश के प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं चिंतक चेतन भगत Chetan Bhagat अपने उपन्यास के शीर्षक में सबसे पहले अंक होने को बेक ग्राउण्ड-ट्रेड मार्क मानते है। वो मानते है कि अकसर लोग अक्षरों की दुनियां में कम आते है और मैं आया हूं और भूलना भी नहीं चाहता हूं, आंकड़े मेरे लिए अभी भी महत्वपूर्ण है। प्रसिद्ध उपन्‍यासकार चेतन भगत ने भीलवाड़ा प्रवास Chetan Bhagat in bhilwara के दौरान पत्रिका रिपोर्टर नरेन्द्र वर्मा से ये बात कही। उन्होंने हांगकांग से बैंकिग कारोबार छोड़ कर उपन्यास लिखने के सवाल पर बताया कि जिन्दगी में बदलाव जरुरी है, जरुरी नहीं है कि एक डिग्री में पूरी जिन्दगी बिताए। मैने बदलाव किया और एक ही जीवन में चार पांच जिन्दगी जी लेने की कोशिश शुरू की।
मोटिवेशन अब दो तरह की हो गई
भगत ने बताया कि मोटिवेशन अब दो तरह की हो गई है, एक से युवा सुसाइड बोम्‍बर बनकर आतंकवाद अपना रहा है तो एक देश के विकास में योगदान दे रहा है। लेकिन मोटिवेशन सकारात्मक होना चाहिए, जिससे कैरियर बनें, आतंकवाद में लिप्त युवा भी मोटिवेट हो रहे, लेकिन उनकी सोच एवं दिशा गलत है। मोटिवेशन एेसा हो जिससे देश व समाज को नई दिशा मिले। अभिभावव को चाहिए की वे अपने बच्‍चों को अच्‍छे संस्‍कार दे। अवार्ड लौटा कर विरोध दर्शान की प्रवृति के सवाल पर उनका कहना था कि यदि उन्हें अवार्ड मिला तो वो कभी नहीं लौटाएंगे
सीएए नहीं आम बजट पर सोचें
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश में मच बवाल के सवाल पर उनका कहना था कि कुछ मुद्दे आराम से हल हो जाते है तो कुछ में अलग-अलग राय होती है। लेकिन इस बार कुछ ज्यादा हो रहा है, मंदी का दौर है और एक फरवरी को पेश होने वाले आम बजट के बारे में सोचना सबसे जरूरी है। उन्होंने माना कि नोट बन्‍दी के बाद लोगों में डर है कि कहीं प्रधानमंत्री उनसे 70 साल पुराने कागजात ना मांगे ले
संस्कार की कमी
कैरियर के सवाल पर उन्होंने कहा कि संस्‍कार की कमी और बढते मोबाइल उपयोग का असर युवाओं के कैरियर पर पड़ रहा है, आज जरूरत है कि उन्‍हे सही राह दिखाकर मोबाइल का कम से कम उपयोग करने की सलाह दी जाए। एक सवाल के जवाब में उन्‍होने कहा कि हिन्‍दी साहित्‍य ने आज अपने ही पांव पर कुल्‍हाडी मारी है। आज हमारे हिन्‍दी साहित्‍य लेखकों और पढने वाले युवाओं में भी काफी कमी आयी है। यदी आज हमने हिन्‍दी साहित्‍य पर ध्‍यान नहीं दिया तो वो मिट जायेगा।
पत्रिका ‘पहलÓ बने समाज की अलख
राजस्थान पत्रिका के ‘स्वच्छ भारत व प्लास्टिक मुक्त भीलवाड़ाÓअभियान के तहत ‘स्पंदन 2020Ó में उपन्यासकार एवं चिंतक चेतन भगत ने शपथ दिलाई। राजीव गांधी ऑडिटोरियम में इस शपथ के साक्षी बने जिले के विभिन्न हिस्सों से आए तीन हजार युवा व विद्यार्थी तथा श्रोता। उन्होंने राजस्थान पत्रिका की मुहिम की सराहना की और युवाओं से आह्वान किया कि वे शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने में अहम योगदान दें। इस दौरान संगम समूह के अध्यक्ष रामपाल सोनी, वैज्ञानिक गोपाल, प्रवक्ता महावीर समदानी, प्रदीप लाठी, माहेश्वरी प्रोफेशनल फ ोरम, जिला माहेश्वरी सभा व श्री नगर माहेश्वरी सभा के पदाधिकारी मौजूद थे।

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