घने वन क्षेत्र में धवल चांदनी रात में पेड़ों पर बने मचान से वनकर्मियों की चौकस निगाहों के बीच जिले में रविवार को वन्यजीव गणना संपन्न हुई। मचान पर बैठे वनकर्मियों को पैंथर, जरख व भालू की एक झलक देखने का भी इंतजार था। वन विभाग की वन्यजीव गणना के दौरान चिंहित 54 वाटरहोल के आस-पास नजर रखी गई।
वन्यजीव गणना के दौरान मांडलगढ़, करेड़ा, बदनोर, आसीन्द व गंगापुर क्षेत्र में मचान पर चढ़े वनकर्मियों को तो पैंथर का ही इंतजार रात भर रहा। गंगापुर के भटवेर में पैंथर की दहाड़ा दहाड़ सुनाई दी, लेकिन नजर नहीं आया। हालांकि पगमार्क मिले। हमीरगढ़ ईको पार्क में चिंकारे चौकड़ी भरते दिखे तो नीलगाय दौड़ती नजर आई।
जिले में वन विभाग ने शनिवार सुबह दस बजे वन्यजीव गणना 54 वाटरहोल पर शुरू की जो रविवार को संपन्न हुई। उपवन संरक्षक ज्ञानचंद की अगुवाई में शुक्रवार रात को ही वनकर्मियों ने मोर्चा संभाल लिया था। शनिवार सांझ ढलने के साथ ही टीमें कही अधिक चौकस हो गई। रात आठ बजे बाद तो पूनम की चांदनी में वाटरहोल पर पहुंचने वाले वन्यजीवों की चहल-पहल बढ़ गई। यहां वाटरहोल पर रविवार सुबह आठ बजे तक वन्यजीव गणना जारी रही। आसीन्द, करेड़ा, बदनोर, मांडलगढ़ वन क्षेत्र में पैथर के कुनबे होने की संभावना के चलते वनकर्मियों ने मचान बांध रखे।
हमीरगढ़ इको पार्क में चल रही वन्य जीव गणना रविवार सुबह 8:00 बजे संपन्न हुई। यहां पर भारी मात्रा में जंगली सुअर, जैकाल, चिंकारा, सेही नीलगाय, जरख, जंगली बिल्ली, मोर आदि वन्यजीव देखे गए। यहां पर छह पानी के टांको पर दो—दो कर्मचारी लगाकर वन्यजीवों की गणना की गई।