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अपनो की फ्रिक, घर की चिंता और सड़कों पर जिंदगी

locationभीलवाड़ाPublished: Mar 31, 2020 09:56:55 am

Submitted by:

Suresh Jain

कोरोना वायरस के चलते टेक्सटाइल उद्योगों में काम बन्द मजदूरों ने किया पलायनमजदूरों को तीन माह के लिए घर भेजा

Your friend, home worries and life on the streets in bhilwara

Your friend, home worries and life on the streets in bhilwara

भीलवाड़ा .

Your friend, home worries and life on the streets in bhilwara कोरोना का कहर लगातार भीलवाड़ा में बड़ता जा रहा है। इसके चलते वस्त्रनगरी के सभी उद्योग बन्द पड़े है। कई कम्पोजिट मिलो ने तो अपने मजदूरों को तीन-तीन माह के लिए अपने घर जाने के लिए रवाना कर दिया है। स्थिति ठीक रही को मजदूरो को बाहर से बुलवा लिया जाएगा। ऐसे में उद्यमियों को भी अभी हालात सामान्य होते नजर नहीं आ रहे है। इसके चलते भीलवाड़ा से अब तक १० हजार से अधिक मजदूरो पैदल ही अपने घरों के लिए निकल गए है। हालांकि कई मजदूर तो २० से २२ मार्च तक ही अपने गांव के लिए निकल गए थे। उस दौरान मात्र भीलवाड़ा जिले की सीमा पर ही रोक थी। Your friend, home worries and life on the streets in bhilwara अन्य राज्यों पर लॉक डाउन नहीं था। ऐसे में कई मजदूर तो अपने घर पहुंच गए सैकड़ों की संख्या में अब भी मजदूर रास्ते में अटके हुए है।
सरकार भी होने लगी परेशान
सड़कों और हाईवे पर लोगों की कतारें सरकारों को परेशान कर रही हैं। कोरोना को थामने के उद्देश्य से पूरे देश में 14 अप्रेल तक लॉकडाउन के एलान के बाद पिछले तीन दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में एक नया संकट उभरा है। जत्थों में लोग अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। वस्त्रनगरी में टेक्सटाइल मजदूर, ईट भट्टों पर काम करने वाले, सहित मजदूर कुछ परिस्थितिजन्य हालात के कारण, तो कुछ अपने शहर और गांवों तक पहुंचकर निश्चिंत होना चाहते हैं। इस स्थिति में राज्य की गहलोत सरकार के लिए इन सभी को संभालना और जहां हैं, वहीं रोक कर रखना भी बड़ी चुनौती है।
बिहार व उत्तर प्रदेश के मजदूर ज्यादा
इस घटनाक्रम को मजदूरों का पलायन बताया जा रहा है, लेकिन न तो यह पलायन है, न ही इसमें केवल मजदूर शामिल हैं और न ही यह केवल भीलवाड़ा जिले से उत्तर प्रदेश और बिहार लौटने की कोशिश कर रहे है। भीलवाड़ा ही नहीं बल्की अन्य राज्यों से भी मजदूर अपने गांव की ओर वापसी करने की कोशिश में लगे हैं। इनमें कामगारों के अलावा छात्र व अन्य रोजगार से जुड़े लोग भी शामिल हैं। वस्त्रनगरी में काम बंद होने से परेशान लोगो से परेशान तो है ही, साथ ही परदेस में फंसे लोगों की बेचैनी भी है।
आर्थिक परेशानी का कारण
सैकड़ों की तादाद में लोगों का सड़कों पर आना और पैदल ही अपने गांव-घर की ओर से चल पडऩा अपने आप में कई कारण है। फैक्ट्रियों में काम बंद होने के चलते आर्थिक रूप से आई परेशानी इसका मुख्य कारण है। कई लोग भावनात्मक कारण से भी यहां से जा रहे है। इस महामारी और संकट के बीच लोग गांव-घर पहुंचकर खुद को सुरक्षित करना चाहते हैं। हालांकि यह भी सच है कि खुद को सुरक्षित करने के चलते लोगों की उमड़ी भीड़ कहीं ना कहीं महामारी के विरुद्ध युद्ध में देश व प्रदेश को कमजोर भी कर रही है। एक उद्यमी ने बताया कि कई बड़ी मिलों ने तो अपने मजदूरों को उद्योग बन्द होने के साथ ही अपने गांव जाने के संकेत दे दिए थे।
स्कूलों में छुट्टियां भी है वजह
विभिन्न राज्यों के रह रहे प्रवासी अपने गांव की ओर जाते हैं। स्कूलों की छुट्टियों से लेकर पारिवारिक कार्यक्रम जैसे कई कारण इस दौरान लोगों को अपने गांव बुलाते हैं। ऐसे में सभी बस, ट्रेन रद होने के कारण भी ऐसे लोग बड़ी संख्या में किसी भी तरह से अपने घर पहुंचना चाहते हैं। फसलों की कटाई का मौसम होने के कारण भी बहुत से लोग इन दिनों अपने गांव पहुंचते हैं। इनमें से बहुत से लोगों के लिए यह गांव में रोजगार का भी मौका होता है।
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