नप में सफाईकर्मियों की संख्या 38 है। इनमें स्थाई सिर्फ तीन कर्मचारी है। शेष 34 कर्मचारियों को 5 हजार मासिक के मस्टर पर रखा गया है। स्थाई सफाईकमियों में से भी एक को 30 हजार तो शेष दो को 15-15 हजार के हिसाब से वेतन भुगतान किया जा रहा है। नप वेतन पर करीब 2.65 लाख रुपए प्रतिमाह खर्चकर रही है। दो लोडरों से कचरा निकालकर टै्रचिंग ग्राउंड तक पहुंचाने के लिए नप के पास दो टै्रक्टर है। इन वाहनों पर प्रतिमाह ७० हजार का डीजल खर्च हो रहा है। सफाई का सामान खरीदने के लिए भी खर्चे में प्रति साल 70 से 80 हजार रुपए डाले जा रहे हैं। सफाई कर्मियों को डे्रस, जूते, मास्क आदि देने के नाम पर भी हजारों का चूना नप को लगाया जा रहा है। नगर के अधिकांश नाले चोक हैं, गंदगी ओवरफ्लो होकर सडक़ों पर आ रही है।बस्ती की गलियों में प्रतिदिन झाडू तक नहीं लग रही। नगर में आधा सैकड़ा से अधिक स्थान कचरा घर बन गए हैै। लोग गंदगी की फोटो वाट्सएप तथा फेसबुक पर अपलोड़ कर नप की पोल खोल रहे हैं। वर्तमान में स्वच्छता सर्वे-2019 चलने के बाद भी नप की ओर से सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। गत वर्ष फूप नप अंडर-100 में आई थी इस बार बाहर होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा।
फैक्ट फाइल -नगर परिषद में मकानों की संख्या -2200 -कुल सफाई कर्मियों की संख्या -38 -स्थाई कर्मियों की संख्या -03 ——————— सफाईकर्मी कचरा उठाते है थोड़ी देर बाद ही उसी स्थान पर लोग फिर से कचरा डाल देते। नाला हाइवे के किनारे है, दुकानदार ही साफ नहीं करने दे रहे। गंदगी के कईकारण है, सिर्फ नप को दोषी नहीं ठहराया जाता।
-एनआर खेंगर सीएमओ नप फूप सफाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं हो रही है।आधा सैकड़ा से अधिक स्थानों पर गंदगी के ढेर लगे है। लोग वाट्सएप पर भी फोटो डाल रहे हंै लेकिन नप संज्ञान नहीं ले रही। सीएमओ मुख्यालय पर नहीं रूकते।
-त्रिलोकी दीक्षित निवासी फूप बस्ती