उल्लेखनीय है कि बाढ़ का पानी उतरे हुए एक पखवाड़ा बीत गया है, लेकिन खेतों की ओर जाने वाले क”ो रास्तों पर जगह-जगह कीचड़ और टीले धसंकने से बंद हुए रास्तों के बाद भी किसी तरह किसान अपने खेतों पर पहुंच रहा है, लेकिन खेतों का मंजर देख उसके आंसू छलक रहे हैं। यहां बता दें कि चंबल के कछार की करीब 500 हेक्टेयर जमीन पर 4000 किसानों ने बाजार, मूंग, उड़द, तिल सहित खरीफ की फसल की थी, लेकिन विगत दिनों आई बाढ़ से खेतों में रेत की मोटी परत जम गई है। ऐसे में किसानों को उस पर हल चलाना मुश्किल हो रहा है। उनका कहना है कि देर सवेर सरकारी से मुआवजा तो मिल जाएगा, लेकिन आगामी फसल की बुवाई कैसे होगी। यह उनकी चिंता का विषय बना हुआ है।
चंबल के कछार की जमीन पर एक दर्जन से ’यादा किसानों ने शासन की योजना के तहत दो हजार से ’यादा पौधे डेढ़ वर्ष पूर्व रोपे थे। उपरोक्त पौधे धीरे-धीरे पेड़ बनने की ओर अग्रसर थे लेकिन बाढ़ की जद में आकर सारे पेड़ धराशायी होकर बह गए। किसानों को उपरोक्त पौधों की देखरेख के लिए पहले वर्ष प्रति पौधा 15 रुपए व दूसरे वर्ष प्रति पेड़ 10 रुपए की दर से पारिश्रमिक प्रदान किया जा रहा था। शासन द्वारा उपरोक्त योजना बंद हो जाने के बाद किसान पौधों के वृक्ष बनने का इंतजार कर रहे थे ताकि वह आर्थिक लाभ ले सकें। बाढ़ में किसानों के सारे सपने बह गए।
रेत हटाने में लगेगा एक माह क्षेत्रीय किसानों को बाढ़ के बाद दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। बाढ़ के दौरान जमीन पर खड़ी फसल नष्ट हो जाने के अलावा पानी उतरने के बाद उनके खेतों में जमी रेत को हटाने के लिए लंबा समय लगेगा। किसानों के पास ऐसी व्यवस्था नहीं हैं जिसके माध्यम से वह अपने खेतों से रेत की परत एक या दो दिन में हटा सकें। लिहाजा नई फसल की बोवनी करने से पहले उन्हें रेत की परत हटाने के लिए न केवल हाड़तोड़ मेहनत करनी होगी बल्कि इस कार्य में महीने भर से ’यादा वक्त भी गंवाना होगा।
-समझ नहीं आ रहे खेती कैसे करें। खेतों तक पहुंचने के लिए रास्ते अभी तक सुगम नहीं हुए दूसरी ओर खेतों पर जमी रेत क परत को हटाने में कड़ी मेहनत और लंबा समय लगेगा।
अहिबरन सिंह यादव, कृषक अटेर -बाढ़ से नष्ट हुई फसल का मुआवजा तो मिल भी जाएगा लेकिन आगामी फसल कैसे करें यह संकट सताने लगा है। खेतों में रेत की मोटी परत देखकर समझ में नहीं आ रहा क्या करें।
उदय सिंह यादव, कृषक अटेर कृषि बागवानी के तहत जिन किसानों के पौधे जो लगभग पेड़ बनने की ओर अग्रसर थे बाढ़ के दौरान उखडक़र बह गए हैं। शासन की ओर से योजना उक्त योजना भी बंद हो चुकी है। उनके नुकसान की भरपाई के बारे में कुछ नहीं कह सकते।
दयाराम जाटव, डिप्टी रेंजर वन विभाग रेंज अटेर