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विभागीय लापरवाही से 19 साल बाद भी 300 संविदा शिक्षकों को नहीं मिली क्रमोन्नति

locationभिंडPublished: Dec 18, 2017 05:34:54 pm

Submitted by:

shyamendra parihar

भिण्ड. यूं तो अन्य विभागीय कर्मचारियों की तरह ही अध्यापक संवर्ग को भी 12 साल की सेवा के बाद अनिवार्यता क्रमोन्नति देने का प्रावधान है।

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भिण्ड. यूं तो अन्य विभागीय कर्मचारियों की तरह ही अध्यापक संवर्ग को भी 12 साल की सेवा के बाद अनिवार्यता क्रमोन्नति देने का प्रावधान है। मगर भिण्ड जिले में तीन सैकड़ा अध्यापक संवर्ग में शामिल शिक्षकों को 19 साल की सेवा के बाद भी क्रमोन्नत नहीं किया गया है। इसकी वजह डीईओ कार्यालय की लापरवाही है। क्रमोन्नति न होने से शिक्षकों में रोष है।
वर्ष 1998 से 2004 के बीच नियुक्ति किए गए 165 सहायक अध्यापक, 128 अध्यापक, 04 वरिष्ठ अध्यापकों सहित 297 को क्रमोन्नति देने में डीईओ कार्यालय की ओर से कोई रूचि नहीं ली जा रही। जिला पंचायत की ओर से रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के लिए पहला पत्र 7 अप्रेल 2017 को लिखा गया था, इसके बाद दूसरा पत्र 8 दिसंबर 2017 को लिखा तथा तीन दिवस के भीतर रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के लिए कहा था। मगर 10 दिन के बाद भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया। इसके अलावा सभी संकुल प्राचार्याे को प्रमाणीकरण के साथ प्रस्ताव भेजने के लिए कहा जा चुका है। परंतु शिक्षा विभाग के अधिकारी सालों से चली आ रही अध्यापक संवर्ग की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे।
अधिकारियों की उदासीनता से अध्यापक संगठन में नाराजगी बढ़ रही है। आधा सैकड़ा से अधिक अध्यापकों की सीएम हेल्प लाइन पर लंबित शिकायतें लेविल -4 तक पहुंच गई है। क्रमोन्नति का लाभ न मिलने से सहायक अध्यापक, अध्यापक, वरिष्ठ अध्यापकों को प्रति माह कम से कम 5 से 7 हजार तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
क्रमोन्नति के लिए मांग रहे हैं 20 हजार

आजाद अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष संतोष लहारिया ने बताया कि क्रमोन्नति की सूची में लाने के लिए डीईओ कार्यालय के बाबू तथा अन्य अधिकारियों की ओर से 20 से 25 हजार का सुविधा शुल्क मांगा जा रहा है। जिला पंचायत में क्रमोन्नति की कवायद शुरू हो जाने के बाद डीईओ कार्यालय में कई दलाल भी सक्रिय हो गए है। यही कारण है कि सीईओ जिपं की ओर से दो पत्र जारी होने के बाद भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। पांच साल में करीब 120 क्रमोन्नतियां हुई है। सैकड़ों की संख्या में संविदा शिक्षक डीईओ और जिपं के चक्कर काटने को मजबूर हैं। लहारियां ने बताया कि संगठन की ओर से कई बार क्रमोन्नतियों में पारदर्शिता लाने की बात कही जा रही है। कलेक्टर-सीईओ जिपं को दिए गए ज्ञापनों में भी इस मंाग को प्रमुखता से रखा गया है। सोमवार को संगठन की ओर से सीएम से मुलाकात का वक्त मांगा गया है। उनके सामने भी यह समस्या रखेंगे। वरिष्ठ अध्यापकों की क्रमोन्नति तथा पदोन्नति के बारे में शासन की कोई नीति ही नहीं हैं, जबकि शिक्षक संवर्ग में हायर सेकंडरी प्राचार्य तक पहुंचने का प्रावधान है।
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विभागीय जांच तथा न्यायालयीन प्रकरणों को देखा जा रहा है। कर्मचारियों की कमी से रिकॉर्ड तैयार करने में देरी हो रही है। जल्दी से जल्दी रिकार्ड जिपं को पहुंचाने के प्रयास किए जा रहें हैं। अध्यापक संगठनों की ओर से लगाए जा रहे रिश्वतखोरी के आरोप निराधार है।
एसएन तिवारी जिला शिक्षा अधिकारी भिण्ड

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