scriptप्राचीन सोनभद्रिका नदी नाले में तब्दील | Ancient Sonbhadrika transformed into river nallah | Patrika News

प्राचीन सोनभद्रिका नदी नाले में तब्दील

locationभिंडPublished: Jan 28, 2019 06:14:03 pm

Submitted by:

Rajeev Goswami

नालों व सीवर का पानी जाने से नदी का स्वरूप हो रहा विकृत

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प्राचीन सोनभद्रिका नदी नाले में तब्दील

आलमपुर. कस्बे की घनी आबादी के बीच में बहने वाली सोनभद्रिका नदी गंदे नाले में तब्दील हो गई है। नदी में शहर भर के नाले-नालियों एवं शौचालयों की गंदगी बहाई जा रही है। कभी कल-कल बहते नीले स्वच्छ जल का स्रोत रही यह नदी अब अपना मूल स्वरूप खो चुकी है। नदी का पानी गंदगी व प्रदूषण की वजह से काला और कीचडय़ुक्त हो गया है। कस्बे की इस प्राचीन धरोहर की ओर न तो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं और न ही शासन प्रशासन। स्थानीय नगरीय निकाय भी प्राकृतिक जल के इस स्रोत को सहेजने और संवारने के प्रति गंभीर नहीं है।
लगभग ३०० साल से अधिक पुरानी सोनभद्रिका नदी दतिया जिले के जुझारपुर गांव के प्राकृतिक जलाशय से निकली है जो जालोन उप्र के गोपालपुरा में पहूज नदी में मिलती है जहां से आगे जाकर पंचनदे में मिलती है। आलमपुर कस्बे में यह नदी खिरिया गांव से रजरापुरा तक लगभग २.५० किमी में बहती है। कस्बे में दबोह रोड पर नदी पर लगभग ८० साल पुराना रपटा पुल बना हुआ है। बारिश के मौसम में नदी उफान पर होती है तब उसका पानी इस रपटा पुल के ऊपर से बहने लगता है। इसका बहाव दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर है। नदी का पानी इतना प्रदूषित और जहरीला हो चुका है कि उसे जानवर भी नहीं पीते। नदी के सारे जलीय जीव समाप्त हेा चुके हैं। नदी के घाटों पर, जहां से शहर के नाले व सीवेज का पानी नदी में जारहा है, गन्दगी और कूड़े कचरे के ढेर लगे हैं।
युवाओं ने चलाया था सफाई अभियान : नगर के युवाओं ने कुछ वर्ष पूर्व नदी की सफाई अभियान चलाया था। नगर परिषद आलमपुर ने भी लगभग 8 साल पहले नदी किनारे पक्के घाटों का निर्माण एवं थ्रीडी से नदी की सफाई कराई थी, लेकिन नदी में गंदे नालों व सीवेज का बहाव बंद न किए जाने से नदी साफ न हो सकी। अब स्थानीय नगर परिषद नदी को स्वच्छ बनाने व उसमें सीवर व नालों का बहाव स्थायी तौर पर रोकने के लिए नदी के समानांतर 23 लाख रुपए की लागत से एक नाले का निर्माण राजघाट से लेकर रजरापुरा तक करा रही है।
ऐतिहासिक होल्कर छतरी स्मारक का बिगड़ रहा सौंदर्य

नदी की गंदगी के कारण शहर के ऐतिहासिक होल्कर छतरी स्मारक का सौंदर्य बिगड़ रहा है तथा वहां पर्यटकों की आमद घट रही है। इस छत्री का निर्माण १७६६ में महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा कराया गया था, जो मप्र सरकार के पुरातत्व विभाग का संरक्षित स्मारक व पर्यटन स्थल है। इस छत्तरी में फूलों और पत्तियों की उत्कृष्ट नक्काशी है। मराठा शैली में बने छतरी के शिखर गुंबद और चाप एक खूबसूरत मिश्रण प्रस्तुत करते हैं। छतरी आलमपुर शहर के प्रवेश द्वार के बाईं ओर सोनभद्रिका नदी के तट पर स्थित है। 1766 में सूबेदार मल्हार राव होल्कर जाट शासकों के साथ युद्ध करते हुए इंदौर से आलमपुर तक चले आए थे जिसमेंवह शहीद हो गए थे। उनकी स्मृति में ही यह भव्य छतरी स्मारक बनाया गया है। वर्तमान में पुरातत्व विभाग स्मारक का जीर्णोद्धार करा रहा है।
-नदी में गंदें नालों नालियों का बहाव रोकने की योजना है। इसके लिए नगर परिषद नदी के समानांतर एक बड़ा नाला निर्माण करा रही है। इसके टेण्डर जारी हो गए हैं

अशोक यादव, सीएमओ नगर परिषद आलमपुर।
-सोनभद्रिका नदी में शहर के सीवेज ड्रेनेज का पानी छोड़ा जा रहा है जिसे अविलंब रोका जाना चाहिए तभी नदी स्वच्छ हो सकती है। यह स्थानीय लोगों के लिए जीवन दायिनी है। होल्कर छतरी स्मारक का सौंदर्य भी नदी की गंदगी के कारण विकृत हो रहा है।
डॉ राधेश्याम दीवोलिया, प्रबंधक होल्कर छतरी स्मारक न्यास, आलमपुर

-जब तक नालों व शौचालयों की गंदगी नदी में जाने से नही रोकी जाएगी तब तक नदी के स्वरूप में परिवर्तन आना असंभव है। नदी के घाटों व पुराने रपटा पुल के नवनिर्माण के साथ किनारों पर उद्यान विकसित कर इसे आकर्षक पिकनिक स्पाट बनाया जा सकता है।
चन्द्रशेखर विश्वकर्मा, पूर्व पार्षद आलमपुर

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