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2016 में स्वीकृत रेलमार्ग के लिए नहीं हैं पैसे

locationभिंडPublished: Jan 08, 2018 11:44:26 pm

Submitted by:

shyamendra parihar

भिण्ड. जिले को सरहदी बुंदेलखण्ड क्षेत्र से जोडऩे और सदियों से रेल नेटवर्क से वंचित भिण्ड जिले के पूर्वी हिस्से में रेल परिवहन की सुविधाओं के विस्तार क

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भिण्ड. जिले को सरहदी बुंदेलखण्ड क्षेत्र से जोडऩे और सदियों से रेल नेटवर्क से वंचित भिण्ड जिले के पूर्वी हिस्से में रेल परिवहन की सुविधाओं के विस्तार के लिए सरकार द्वारा 2 वर्ष पूर्व 2016 के आम रेलबजट में मंजूर की गई 1600 करोड़ रुपए बजट की 85 किलोमीटर लम्बी भिण्ड-मिहोना उरई कोंच नई रेल लाइन का निर्माण कार्यजिले के राजनैतिक नेतृत्व के सुस्त रवैये के चलते लगभग 20 माह बाद भी शुरू नहीं हो पाया है।
बताया जाता है कि रेल मंत्रालय ने परियोजना लागत की 50 प्रतिशत धनराशि यानी 800 करोड़ रुपए मप्र सरकार से मांगे हैं, जिसे देने से राज्य सरकार ने इनकार कर दिया है। इससे परियोजना के क्रियान्वयन पर ग्रहण लगने की संभावनाएं बन गई हैं।
2003 में मंजूर हुई थी भिण्ड-महोबा रेल लाइन

यहां बताना दिलचस्प होगा कि भिण्ड के तत्कालीन भाजपा सांसद डॉ रामलखनसिंह ने भिण्ड से महोबा व राठ तक 215.9 किलोमीटर लम्बी इस नई रेल परियोजना को रेल मंत्रालय से सर्वे आदि कराने के बाद १५ साल पहले 2003 में ही मंजूर करा दिया था तथा इसके लिए 466 करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत करवा दिया था, लेकिन 2004 में केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बन गई, जिससे परियोजना ठण्डे बस्ते में पड़ गई। 2015 में भिण्ड-दतिया के मौजूदा भाजपा सांसद डॉ भागीरथ प्रसाद ने इस परियोजना को 85 किमी लम्बाई में सीमित करते हुए भिण्ड-कोंच वाया रौन-मिहोना-लहार के नाम से नए सिरे से तैयार करवाया और रेल मंत्रालय के समक्ष रखकर 2016 के आम बजट में इसे मंजूर करवा दिया है। इसके लिए 1600 करोड़ रुपए की भारी भरकम बजट राशि भी जारी करवा ली है। क्षेत्र के लोगों को इस परियोजना के शीघ्र शुरू होने की बेसब्री से प्रतीक्षा है, पर रेल महकमे ने अभी ट्रेक बिछाने के लिए अर्थवर्क तक शुरू नहीं किया है।
१९५७ में उठा था नेटवर्क विस्तार का मुद्दा

भिण्ड जिले को 1904 में रेल कनेक्टिविटी से तत्कालीन सिंधिया शासकों के द्वारा ग्वालियर लाइट रेलवेज (नैरोगेज) के जरिए जोड़ा गया था। भिण्ड में ब्रॉडगेज रेलवे के नेटवर्क विस्तार का मुद्दा पहली बार 1957 में क्षेत्र के तत्कालीन सांसद कमान्डर अर्जुनसिंह भदौरिया और मप्र के तत्कालीन गृहमंत्री नरसिंंहराव दीक्षित ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समक्ष उठाया था। कालांतर में इसको तत्कालीन केन्द्रीय रेल मंत्री माधवराव सिंधिया और तत्कालीन सांसद डॉ. रामलखन सिंह कुशवाह ने गति दी। इन समन्वित प्रयासों से जिले को गुना से इटावा तक लगभग 345 किलोमीटर लम्बी नई ब्रॉडगेज रेल लाइन उपलब्ध हो गई है। पर जिले का बुंदेलखण्ड से सटा पूर्वी हिस्सा अब भी रेल कनेक्टिविटी से वंचित है। भिण्ड-कोंच प्रस्तावित रेल परियोजना के क्रियान्वयन से इस क्षेत्र के विकास को नए आयाम मिल सकते हैं।
अगर 2004 में अटलबिहारी बाजपेयी की सरकार बन जाती, तो यह परियोजना 2004 में ही चालू हो जाती। अंचल रेल नेटवर्क के मामले में अब भी काफी पिछड़ा है। सांसद शीघ्र काम शुरू करवाना चाहिए।
डॉ रामलखनसिंह कुशवाह, पूर्वसांसद भिण्ड-दतिया

योजना के निर्माण में 50 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार से ली जाएगी, जिसमें व्यवधान आ रहा है। भारत के 20 प्रतिशत औसत नेशनल रेल नेटवर्क के मुकाबले मप्र में रेल नेटवर्क का औसत काफी कम (मात्र 13 प्रतिशत) है। मप्र सरकार ने परियोजना की पूरी लागत रेल मंत्रालय को स्वयं वहन करने का अनुरोध किया है। अगले 5 साल के भीतर परियोजना पूर्ण करा लेंगे।
डॉ.भागीरथ प्रसाद, सांसद

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