26 अक्टूबर को मानगढ़ के राजेश कुशवाह ने थाना रौन में रिपोर्ट की थी कि शाम करीब सात बजे अमित सिंह राजपूत, मिल्लू उर्फ मिलाप ,करू चौहान, जयकम, शैलेन्द्र उर्फ शीलेंद्र, मिल्लू मास्टर, पुनीत आदि 17 आरोपियों ने एक राय होकर फरियादी के घर पर बन्दूकों, कट्टों आदि अन्य हथियारों से लैस होकर जानलेवा हमला किया व तावड़-तोड़ फायरिंग की। इसमें बलराम कुशवाह एवं वीरेंद्र कुशवाह की मौत हो गई तथा फरियादी का पिता जगदीश कुशवाह व सोमवती घायल हुई। रिपोर्ट पर धारा 302, 307,147,148 ,149, 294, 506 भारतीय दंड विधान के तहत प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया गया।
पुलिस ने दोहरे हत्याकांड को चुनौती मानते हुए टीआई व पुलिस टीमों ने कुछ ही दिनों में 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। शेष तीन आरोपी मिल्लू मास्टर, पुनीत व करू चौहान घटना के बाद से फरार थे। इनकी गिरफ्तारी हेतु 10-10 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया गया। गुरुवार को मुखबिर से सूचना मिली कि मिल्लू मास्टर उर्फ अरविन्द पुत्र महादेव राजपूत परिजन से मिलने मानगढ के पास देखा गया है। तब टीआई रामनरेश यादव ने जवानों के साथ दविश दी और उसे गिरफ्तार कर लिया। इसकी गिरफ्तारी में टीआई के साथ एसआई रामकुमार भगत, आरक्षक महेश, रविन्द्र, सन्तोष, केशव व नकुल की भूमिका रही।
ंदो लोगों को एक-एक वर्ष का कारावास भिण्ड न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गोहद प्रतिष्ठा अवस्थी के न्यायालय ने गुरुवार को दो लोगों को एक-एक वर्ष का सश्रम करावास एवं दो-दो हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
एक पर दूसरे व्यक्ति के लायसेंसी शस्त्र का उपयोग करने तथा दूसरे पर लायसेंसी १२ बोर बंदूक को कारतूसों सहित अन्य व्यक्ति को प्रदान करने का आरोप था। एडीपीओ इंद्रेश प्रधान के अनुसार रामलखन पुत्र गजराज प्रसाद समाधिया निवासी कन्हारी मेहगांव ने अपनी लायसेंसी १२ बोर बंदूक तथा कारतूसों को सुभाष शर्मा पुत्र सुरेश शर्मा निवासी कन्हारी मेहगांव को दे दी थी। घटना गोहद चौराहा थाना क्षेत्र के बिरखड़ी के पास ०७ जुलाई २०१३ की है।
सुभाष शर्मा ने बंदूक का उपयोग मारपीट व धमकाने के लिए किया था जिसकी शिकायत स्थानीय ग्रामीण भंवरपाल बंजारा ने पुलिस को की थी। भंवरपाल की सूचना पर पुलिस ने सुभाष शर्मा को गिरफ्तार कर लिया था। अभियोजन का संचालन एडीपीओ हेमलता आर्य ने किया।