भिण्ड जिले में ऐसे हालात बीते सात-आठ साल से स्थाई ड्रग इंस्पेक्टर न होने से बने हैं। दूसरे जिले के ड्रग इंस्पेक्टर को प्रभार दिए जाने से मेडिकल स्टोरों का न तो ठीक प्रकार से निरीक्षण हो पा रहा है और न ही कार्रवाई ही हो पा रही है। ड्रग इंस्पेक्टर के जिले में कामकाज के दिन भी निश्चित नहीं है इस कारण मेडिकल स्टोर संचालकों को विभिन्न कामकाज को लेकर भी परेशानी का सामना करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
जिले में 450-500 मेडिकल स्टोर संचालन के लिए लाइसेंस हैं। इनमें से कई ऐसे भी है जिनकी धरातल पर जांच पड़ताल अब तक हुई ही नहीं है। मेडिकल स्टोर संचालकों को पता है कि एक ड्रग इंस्पेक्टर पर दो- दो और तीन- तीन जिलों की जिम्मेदारी होगी तब वह कितनी बेहतर जिम्मेदारी निभा पाएगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जिले में कई लोग थोक कारोबार का लाइसेंस लिए हुए हैं जबकि इनके द्वारा खुले तौर पर दवाइयों खुदरा बिक्री की जा रही है। इस प्रकार के हालात फूप में सर्वाधिक हैं। यहां फुटकर से अधिक थोक कारोबारियों के लाइसेंस हैं जबकि फूप कितना बड़ा है और वहां कितना थोक कारोबार चलता होगा इस हर कोई जान समझ सकता है।
जीएसटी के बाद झोलाछाप बनवा रहे थोक कारोबार का लाइसेंस जीएसटी लागू होने के बाद झोलाछाप चिकित्सक दवाइयों के थोक कारोबार का लाइसेंस बनवा रहे हैं। इसके बाद इनके द्वारा थोक कारोबार तो नहीं किया जा रहा पर अपनी प्रेक्टिस के लिए दवाइयों की खरीद फरोख्त जरूर की जा रही है। इसकी भी जांच पड़ताल ड्रग इंस्पेक्टर की कभी-कभार उपस्थिति के कारण नहीं हो पा रही।
ड्रग इंस्पेक्टर के मिलने का नहीं समय निश्चित जिले में ड्रग इंस्पेक्टर महीने में कितने दिन उपलब्ध रहेंगे इसके लिए कोई निश्चित दिन नहीं है। आगामी महीनों में मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस रिन्यूअल की प्रक्रिया चलेगी तब किस दिन ड्रग इंस्पेक्टर मिलेंगे यह निश्चित नहीं है।ऐसे में जिले में विभिन्न स्थानों से आने वालों को बगैर कामकाज के वापस लौटने को मजबूर होना पड़ेगा।
450-500 मेडिकल स्टोर हैं जिले में भिण्ड 125 फुटकर व 50 थोक लाइसेंस गोहद 50 फुटकर लाइसेंस मेहगांव 30 फुटकर व 10 थोक लाइसेंस गोरमी 15 फुटकर लाइसेंस लहार 50 फुटकर और 10 थोक लाइसेंस
रौन 15 फुटकर लाइसेंस अटेर 02 फुटकर लाइसेंस फूप 15 फुटकर व थोक लाइसेंस यहां बगैर लाइसेंस के मेडिकल स्टोर नर्सिंग होम और डाक्टरों अगल-बगल में मेडिकल स्टोर बगैर लाइसेंस के चलने की भी जानकारी लगी है। इन पर लाइसेंस हैं या नहीं इसकी जांच तभी संभव है जब ड्रग इंस्पेक्टर जिले में स्थाई रूप से सेवाएं दे अन्यथा मनमर्जी से मेडिकल स्टोरों का संचालन होता रहेगा। इतना ही नहीं कई दवाएं किराना स्टोर पर भी बिकती रहेंगी।
&प्रदेश भर में ड्रग इंस्पेक्टर की कमी है इसलिए एक इंस्पेक्टर पर दो और तीन जिलों का प्रभार है। जिले में पदस्थ ड्रग इंस्पेक्टर निश्चित दिन उपलब्ध रहें और नियमित रूप से मेडिकल स्टोर्स निरीक्षण किया जाए, इसके लिए निर्देशित किया जाएगा।
डा. जेपीएस कुशवाह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी