वर्ष 2017 से लेकर 2019 तक लोनिवि विभाग ने मौका मुआयना करने के बाद जिले की 105 मिडिल और प्राथमिक शाला भवनों को डिस्मेंटल सर्टिफिकेट जारी कर दिया है। 36 शाला भवनों के निर्माण की स्वीकृति तो मिल गई लेकिन इनमें से भी निर्माण एजेङ्क्षसयों की लापरवाही के चलते 17 शाला भवनों का निर्माण ही चालू नहीं हो पाया है। 19 भवनों का निर्माण कार्य इतनी धीमी गति से चल रहा है कि डेढ़ साल का समय गुजर जाने के बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है। शेष 69 शाला भवनों के निर्माण के लिए रा’य शिक्षा केंद्र से निरंतर बजट की डिमांडकी जा रही है। लेकिन स्वीकृत नहीं मिल रही। वर्ष 2019-20 में तो एक भी शाला भवन मंजूर नहीं किया गया है।भवन की समस्या के चलते इन शालाओं में परेशानी से बचने के लिए अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कराकर काम चलाया जा रहा है।
छकूपुरा में पेड़ के नीचे लगती है शाला नप क्षेत्र अकोड़ा के वार्ड नं.1 छकूपुरा में प्राथमिक और माध्यमिक शालाएं तो सालों से हैं लेकिन दोनो के पास भवन नहीं है। स्थानीय लोगों की ओर से उपलब्ध कराए गए एक कमरें में दोनों स्कूल लगते हैं लेकिन यह भवन भी इतना जर्जर हो चुका है कि शिक्षको को भवन में कक्षाएं लगाना खतरे से खाली नहीं लगता। परिसर में खड़े नीम के पेड़ के नीचे ही कक्षाएं लगती है। जिला शिक्षा केंद्र ने एक साल पहले दो अतिरिक्त कक्षों के लिए 7.20 लाख स्वीकृत किए हैं इनमें से 3.60 लाख एसएमसी के खाते में भेज दिए गए हैं लेकिन भूमि उपलब्ध न होने पान के कारण संकट बरकरार है।
&दो साल पहले एक सैकड़ा से अधिक शालाओं को लोनिवि ने कंडम घोषित कर दिया था। इस अवधि में 36 शाला भवनों के लिए पैसा मिला है। 17 का काम विभिन्न कारणों से शुरू नहीं हो पाया है। जहां पर भवन की समस्या है वहां पर हम अतिरिक्त भवन स्वीकृत कर रहें हैं।
रविशंकर शर्मा सहायक यंत्री जिला शिक्षा केंद्र भिण्ड