
कलेक्टर बोले-रास्ते में गुमटियों में तैनात रहते हैं रेत माफिया के मुखबिर
भिण्ड. जिले में रेत माफिया पुलिस और प्रशासन की टीम से दो कदम आगे साबित हो रहे हैं और उनका मुख्बिर तंत्र भी मजबूत है। यही कारण है कि जब भी कोई टीम अवैयध रेत उत्खनन पर कार्रवाई करते पहुंचती है उससे पहले ही वहां से रेत माफिया मशीनों के साथ गायब हो जाते हैं।
रास्ते में जगह-जगह तैनात रहते हैं मुखबिर
दरअसल कलेक्टर मंगलवार की रात पुख्ता सूचना पर ककाहरा में चल रहे अवैध उत्खनन पर कार्रवाई के लिए अपने निजी गनर और माइङ्क्षनग टीम के साथ रवाना हुए थे। प्रशासनिक अमला नयागांव रोड पर पहुंचा, तभी रास्ते में गुमटियों पर बैठे मुखबिरों ने माफिया को अलर्ट कर दिया। गांव मे कच्चे रास्ते से होकर माइङ्क्षनग की टीम खदान तक पहुंची, तब तक माफिया नदी में पनडुब्बी डुबोकर रेत के वाहन और अन्य मशीनरी दौड़ा ले गए। कलेक्टर ने बताया कि माफिया पूरी सतर्कता के साथ उत्खनन करते हैं ताकि पकडऩे जाने से पहले ही बचकर निकल सकें।
मुखिबिर को पकडऩा मुश्किल: कार्रवाई प्रभावित करने वाले माफिया और मुखबिर को पकडऩा प्रशासन के लिए टेड़ी खीर बन गया है। माइङ्क्षनग अधिकारी दिनेश कुमार दुड़वे ने बताया आम लोगों की तरह माफिया के मुखबिर सडक़ों, मुमटियों, पान की दुकान, किराना दुकान पर बैठने के साथ ही वाहनों में घूमते हैं। मुखबिरों को पकडऩा बेहद मुश्किल है। ककाहरा रेत खदान पर माफिया पकड़ में नहीं आते हैं, क्योंकि यह खदान कच्चे रास्ते से होकर जाती है। अधिकारी जब तक खदान तक पहुंचते हैं, पहले से अलर्ट माफिया भागने में कामयाब हो जाते हैं।
जिले में 72 खदानों के होंगे टेंडर
भिण्ड में ङ्क्षसध नदी की कुल 72 खदान हैं, जिनके लिए माइङ्क्षनग कॉर्पोरेशन भोपाल द्वारा टेंडर लगाए गए हैं। फिलहाल एक कंपनी ने टेंडर डाला है, लेकिन विभाग ने ठेका जारी नहीं किया है। अवैध उत्खनन रोकने के लिए प्रशासन की मंशा है कि शीघ्र ही टेंडर जारी किए जाएं, मगर राजनैतिक मतभेज के कारण जिले की रेत खदानों के टेंडर पिछले दो माह से लगातार पिछड़ रहे हैं। खनिज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ठेका होने से अवैध उत्खनन पर अंकुश लग जाएगा। प्रशासन की केवल मॉनिटङ्क्षरग रह जाएगी।
खदाने बंद होने से रेत का भाव डेढ़ गुना बढ़ा सितंबर माह में कंपनी ने ठेका सरेंडर कर दिया था। जिसके बाद जिले में अवैध तरीके से चोरी छिपे रेत निर्माताओं तक पहुंचाया जा रहा है। पांच माह पूर्व 6 से 7 हजार रुपए की रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली आसानी से मिल जाती थी, जो अब 12 से 14 हजार रुपए तक भवन निर्माताओं को खरीदनी पड़ रही है। रेत न मिलने से जिले में सैकड़ों सरकारी काम प्रभावित हो गए हैं। निजी ठेकेदारों ने भी काम करना बंद कर दिया है। जिले में रेत खदानें बंद होने से लोगों के मटेरियल का खर्च भी बढ़ गया है।
माफिया के मुखबिर रास्ते में लगे रहते हैं। अवैध उत्खनन पर कार्रवाई करने टीम जाती है तो वे माफिया को अलर्ट कर देते हैं। जिससे कई बार खननकर्ता भाग निकलते हैं।
संजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर भिण्ड
Published on:
15 Feb 2024 11:38 pm
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